इंडिया न्यूज (Pradosh Vrat):
हिंदू पंचांग मुताबिक हर माह त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। भाद्रपद का पहला प्रदोष व्रत बुधवार 24 अगस्त को रखा जाएगा। बुधवार के दिन होने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन की हर मुश्किलें समाप्त हो जाती हैं। ये उपवास करके आप मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए जानेंगे प्रदोष व्रत का क्या है महत्व।
हर दिन के साथ प्रदोष व्रत का अलग संयोग
- रविवार को प्रदोष व्रत होने से उसे भानु प्रदोष या रवि प्रदोष कहा जाता है। अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना से ये व्रत किया जाता है। सोमवार को त्रयोदशी तिथि होने से सोम प्रदोष या चंद्र प्रदोष कहा जाता है। किसी खास मनोकामना को पूरी करने और निरोगी रहने के लिए सोम प्रदोष का विशेष महत्व है। मंगलवार प्रदोष का संयोग बनने से उसे भौम प्रदोष कहते हैं। कर्ज और लंबे समय से चल रही बीमारी से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष व्रत किया जाता है। बुधवार को त्रयोदशी तिथि होने से बुध प्रदोष का संयोग बनता है। इस व्रत को करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और संपन्नता बढ़ती है।
- गुरुवार को प्रदोष व्रत होने से गुरु प्रदोष कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से पुण्य मिलता है। हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन शिव-पार्वती पूजा से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष का संयोग बनता है। इस दिन व्रत और शिव-पार्वती पूजा से समृद्धि आती है। सौभाग्य और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है। संतान प्राप्ति के लिए शनिवार को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत से शत्रुओं पर जीत भी मिलती है। शनिवार को त्रयोदशी तिथि होने से शनि प्रदोष का संयोग बनता है।श्
बुध प्रदोष का महत्व
- कहतें हैं कि प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वार के अनुसार अलग-अलग दिन त्रयोदशी तिथि का संयोग बनने पर उसके फल का महत्व बदल जाता है। बुधवार को त्रयोदशी तिथि होने से बुध प्रदोष का योग बनता है। इस संयोग में भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। बुधवार को प्रदोष व्रत रखने से नौकरी और बिजनेस में सफलता मिलती है। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है। इससे हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। बुध प्रदोष का व्रत करने से हर तरह के रोग, शोक, दोष और कलह दूर हो जाते हैं।
- बताया जाता है कि त्रयोदशी व्रत (प्रदोष व्रत) को किसी भी उम्र का व्यक्ति रख सकता है और इस व्रत को दो तरह से रखे जाने का प्रावधान है। कुछ लोग इस व्रत को सूर्योदय के साथ शुरू कर के सूर्यास्त तक रखते हैं और शाम को भगवान शिव की पूजा के बाद व्रत खोल लेते हैं। तो वहीं कुछ लोग इस दिन 24 घंटे व्रत को रखते हैं और रात में जागरण करके भगवान शिव की पूजा करते हैं और अगले दिन व्रत खोलते हैं।
बुध प्रदोष व्रत की तिथि
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार 24 अगस्त को सुबह 08 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी गुरुवार 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। ऐसे में त्रयोदशी तिथि में प्रदोष पूजा का मुहूर्त 24 अगस्त को रहेगा। इसलिए बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 52 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
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