इंडिया न्यूज, भोपाल, (Genome Editing ) : एक दशक से जीनोम एडिटिंग से असाध्य बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी क्रम में भोपाल के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) ने जीनोम एडिटिंग तकनीक में जटिल रासायनिक कंपाउंड रेप्साक्स का नए तरीके से उपयोग कर इस प्रक्रिया को पांच गुना तेज करने का रास्ता ढ़ूढ़ निकाला है। इससे जीन एडिटिंग का दायरा बढ़ेगा और कैंसर व एचआइवी जैसे रोगों का इलाज आसानी से होगा।
आइसर के बायोलाजिकल साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. अजित चांदे के नेतृत्व में सात विज्ञानियों की टीम ने नए तरीके से रेप्साक्स का प्रयोग किया तो इसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले आए। इस कंपाउंड की गतिविधियां आश्चर्यजनक तरीके से पांच गुना बढ़ गईं। ं इस शोध को मालिक्यूलर थेरेपी न्यूक्लिक एसिड जर्नल में हाल ही में प्रकाशित किया गया है। माना जा रहा है कि यह चिकित्सा जल्द ही मील का पत्थर साबित होगा। सिकेल सेल जैसी असाध्य बीमारी का इलाज भी इससे आसानी से किया जा सकेगा।
विज्ञानियों का कहना है कि इस तकनीक का प्रयोग कर न सिर्फ जीन में बदलाव कर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, बल्कि शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता का महत्वपूर्ण हिस्सा रहने वाली टी-कोशिकाओं की क्षमता को बढ़ाकर प्रतिरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने का काम भी किया जा सकता है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली इस हद तक मजबूत की जा सकेगी कि वह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को पहचान कर खुद उसकी कोशिकाओं को नष्ट कर देगी।
विज्ञानियों की माने तो इस तकनीक से अनुवांशिक बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिलेगी। जीन एडिटिंग की मदद से गर्भ में ही बच्चे के जीनोम में बदलाव किया जा सकता है, जो वंशानुगत संक्रमण रोकने में कारगर सिद्ध हो सकता है।
जीन एडिटिंग ऐसी तकनीक है जिसमें जीन को बदला जा सकता है। इस तकनीक से जीनोम में विशेष स्थानों पर अनुवांशिक सामग्री को जोड़ने, घटाने या फेरबदल करने का काम किया जाता है। इसमें क्रिस्पर कैश-9 तकनीक से संपूर्ण अनुवांशिक कोड में से विशिष्ट हिस्सों को हटाया जा सकता है या विशेष स्थान पर डीएनए की एडिटिंग की जा सकती है।
रेप्साक्स एक जटिल रासायनिक कंपाउंड है, जो लाखों अणुओं के मिलने से बनते है। इसका मानव कोशिकाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह केवल उसी कोशिका पर असर दिखाता है जिसके लिए डिजाइन किया गया है। इससे तय कोशिकाओं का अनियंत्रित तरीके से बढ़ा रोका जा सकता है।
आइसर भोपाल के बायोलाजिकल साइंस विभाग के विज्ञानी डा. अजित चांदे ने इस मामले में बताया कि यह शोध अनुवांशिक बीमारियों को क्रिस्पर कैश-9 तकनीक के जरीये जीन एडिटिंग कर रोकने में कारगर सिद्ध होगा। इससे कई आसाध्य बीमारियों पर भी आसानी से काबू पाया जा सकता है।
ये भी पढ़े : मध्य प्रदेश में ग्रुप 3 के 2557 पदों पर निकलीं भर्ती, कौन कर सकते हैं आवेदन यहां जानें पूरी जानकारी
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Connect With Us : Twitter | Facebook | Youtube
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.