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नल से जल अभियान के तहत गुजरात का जल आपूर्ति विभाग राज्य में कई बड़ी परियोजनाओं पर किए अपने काम को लेकर सुर्खियो में है। बता दें अब गुजरात के इंजीनियरों ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। दरअसल इन इंजीनियरों ने नर्मदा जिले के सादा गाँव में जहाँ, विभिन्न भौगोलिक चुनौतियों से जुझना पड़ता है, वहां 24 घंटे पानी की व्यवस्था उपलब्ध करा दी है। खास बात ये है कि भौगोलिक और आवागमन की विभिन्न चुनौतियों के बावजूद 16 लाख 67 हजार रुपए की लागत से निर्मित इस प्रोजेक्ट को मात्र 15 दिन में पूरा किया गया है।
नर्मदा जिले में डेडियापाड़ा तहसील के सादा गाँव की भौगोलिक बनावट बेहद जटील है। इसकी जटिलता का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं, कि यहाँ न तो सड़क की व्यवस्था बनाना संभव है और न ही वहाँ बिजली की व्यवस्था संभव है। करजण नदी के किनारे बसे इस गाँव में नाव के माध्यम से ही आवागमन किया जाता है। इस गाँव में लगभग 45 परिवार रहते हैं और यहाँ की कुल आबादी लगभग 250 है। साथ ही, यहाँ रहने वाले ग्रामीणों के घर भी एक दूसरे से दूर-दूर बसे हुए है। ऐसे में इस गाँव के लोगों तक 24 घंटे नल से जल पहुँचाने का काम गुजरात सरकार के लिए एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। दूरदराज वाला क्षेत्र होने के कारण यहाँ राज्य सरकार की रीजनल वॉटर स्पलाई स्कीम का कार्यान्वयन भी संभव नहीं था।
करजण नदीं के पास होने के बावजूद यहां के लोग इस पानी का इस्तेमाल सीधे तौर पर रोज़मर्रा के कार्यों में नहीं कर सकते। कारण है करजण नदी के पानी की टर्बिडिटी 30 से अधिक होना। इस पानी को इस्तेमाल में लाने के लिए वहां के स्थानीय लोग नदी से कुछ दूर छोटा सा गड्ढा खोदते थे जिससे नदी का पानी प्राकृतिक रूप से रिस कर गड्ढे में आता है और इसके बाद ग्रामीण इस रिसे हुए पानी को उपयोग में लाते थे। लेकिन अब इन लोगों की समस्या को खत्म कर WASMO ने फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म सेटअप का निर्माण किया जिसके कारण अब इस गाँव में 24 घंटे पीने के पानी की व्यवस्था संभव हो सकी है।
1- सोलर पॉवर आधारित फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म को करजण नदी के ऊपर स्थापित किया गया है, जो इस नदी के ऊपर तैरता रहता है। इस फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म में सिंगल फेज़ आधारित दो छोटे सब्मरसिबल पंप भी लगाए गए हैं, जो पानी के नीचे मौजूद रहते हैं, और दोनों आपस में इन्टरकनेक्टेड हैं। 3 HP के क्षमता वाले इन दोनों पंपों में पानी को 110 मीटर की उंचाई तक ऊपर उठाने की क्षमता है।
2- भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए इस गाँव को इस परियोजना के लिए दो ज़ोन में विभाजित किया गया है। पंपों के संचालन के लिए इन ज़ोन के सबसे ऊंचे स्थान पर 3KW क्षमता वाले एक-एक सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं। इन सोलर पैनल से प्राप्त इलेक्ट्रिसिटी को कॉपर केबल के माध्यम से नदी में मौजूद फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म तक ले जाया जाता है और इस तरह दोनों सब्मरसिबल पंपों का संचालन किया जाता है। भविष्य में इन सोलर पैनल से प्राप्त सौर ऊर्जा के उपयोग के बाद शेष इलेक्ट्रिसिटी को स्टोरेज करने की योजना है।
3- नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए दोनों ज़ोन पर स्थित सोलर पैनल के पास स्थापित किए गए एक-एक सैंड फिल्टर के सेटअप्स में प्रवाहित किया जाता है। ये सैंड फिल्टर्स प्रति फिल्टर 2400 लीटर प्रति घंटा की क्षमता के साथ नदी के पानी को शुद्ध करते हैं और इसके बाद इस पानी को बगल में स्थापित किए गए 5000 लीटर प्रति टैंक की क्षमता वाले में एक-एक क्लियर वॉटर टैंकों में स्थानान्तरित कर देते हैं।
4- उल्लेखनीय यह है कि दोनों ज़ोन में सोलर पैनल, सैंड फिल्टर और क्लियर वॉटर टैंक को एक ही स्थान पर स्थापित किया गया है। टैंक में मौजूद पानी को ब्लीचिंग पाउडर के द्वारा डिसइन्फेक्शन कर अंततः जल वितरण की लाइनों के माध्यम से सादा गाँव के घर-घर तक पहुँचा दिया जाता है।
6- इतना ही नहीं क्लियर वॉटर टैंकों के निचले हिस्से में भी 5 नल लगाए गए हैं ताकि यदि उस क्षेत्र के किसी भी घर के नल में किसी कारण वश पानी न आ रहा हो तो वह परिवार इस टैंक के निचले हिस्से में मौजूद नल से पानी ले सकता है।
बता दें सादा गाँव के लोगों के लिए 9 सितम्बर 2022 से 24 घंटे पानी की व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट का ओवरऑल मैनेजमेंट ग्रामीण स्तर पर बनाई गई पानी समिति करेगी, और इसका तकनीकी प्रबंधन WASMO की तरफ से किया जाएगा। बता दें गुजरात सरकार इसी सितम्बर महीने में पूरे गुजरात को 100 प्रतिशत नल से जल घोषित करने जा रही है। अब तक 97 प्रतिशत गुजरात नल से जल घोषित हो चुका है।
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