होम / Top News / क्या राजनाथ सिंह को मंगोलिया में उपहार स्वरूप मिला घोड़ा लाया जाएगा भारत, क्या है घोड़ा गिफ्ट के पीछे की वजह?

क्या राजनाथ सिंह को मंगोलिया में उपहार स्वरूप मिला घोड़ा लाया जाएगा भारत, क्या है घोड़ा गिफ्ट के पीछे की वजह?

PUBLISHED BY: Naresh Kumar • LAST UPDATED : September 9, 2022, 6:47 pm IST
ADVERTISEMENT
क्या राजनाथ सिंह को मंगोलिया में उपहार स्वरूप मिला घोड़ा लाया जाएगा भारत, क्या है घोड़ा गिफ्ट के पीछे की वजह?

Rajnath Singh’s Visit To Mongolia

इंडिया न्यूज, New Delhi News। Rajnath Singh’s Visit To Mongolia: भारत से मंगोलिया जाने वाले हर बड़े भारतीय नेता को मंगोलिया की ओर से उपहार स्वरूप घोड़ा दिया जाता है। वहीं हाल ही में मंगोलिया के दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी तोहफे के रूप में एक घोड़ा दिया गया है। 6 साल पहले जब पीएम मोदी मंगोलिया गए थे, तो उन्हें भी घोड़ा गिफ्ट मिला था। ये सिलसिला नेहरू के जमाने से चल रहा है। 16 दिसंबर 1958 को उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मंगोलिया दौरे पर गए, तो उन्हें भी मंगोलिया नस्ल के 3 घोड़े दिए गए थे।

मंगोलिया के इतिहास घोड़े क्यों खास?

अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार मंगोलिया में रहने वाले लोग अपने दैनिक जीवन में दूसरे किसी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे 2 कारण हैं।

पहला:- मंगोलिया में करीब 4000 साल पहले से मंगोलियाई ब्रीड के घोड़ों का इस्तेमाल सवारी के तौर पर होता आ रहा है। लोग माल ढुलाई से सवारी तक में इसका इस्तेमाल करते रहे हैं।

दूसरा:-करीब 850 साल पहले 1175 में मंगोलियाई शासक चंगेज खान ने इसी नस्ल के घोड़ों पर बैठकर 22 प्रतिशत दुनिया को जीत लिया था। इसके बाद से यहां के लोग दैनिक जीवन में ही नहीं, बल्कि जंग के मैदान में भी इसे बेहतर साथी मानने लगे।

इसलिए हर मेहमान को उपहार में दिया जाता है घोड़ा

बता दें कि यहां के लोग मंगोल नस्ल के घोड़ों को अपने देश के गौरवशाली ऐतिहासिक प्रतीक के तौर पर देखते हैं। इसलिए अपने यहां आने वाले मेहमानों को यहां घोड़ा गिफ्ट करने की परंपरा है।

घोड़ों के बिना मंगोलिया के भविष्य बारे नहीं सोचा जा सकता

मंगोलिया प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण एसोसिएशन के अध्यक्ष जे. सेरेन्डेलेग कहते हैं, मुझे लगता है कि घोड़ों के बिना मंगोलिया के भविष्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।

20,000 मंगोलों ने घोड़ों के दम पर 80,000 रूसी सैनिकों को हराया था

साल 1223 की बात है। 80,000 रूसी सैनिकों के सामने 20,000 मंगोल सैनिक थे। इस जंग का नेतृत्व चंगेज खान के दो लेफ्टिनेंट ने संभाल रखा था। अपने सामने 4 गुना से ज्यादा रूसी सैनिकों को देखकर डरने की बजाय मंगोल घुड़सवारों ने जबरदस्त हमला किया।

इस जंग में घोड़ों पर सवार मंगोल धनुष और भाले का इस्तेमाल कर आसानी से ये जंग जीत गए। कहा जाता है कि ये जंग मंगोलों ने सैनिकों की वजह से नहीं, बल्कि घोड़ों की वजह से जीती थी।

घोड़ों का दूध और खून पीने का है चलन

एनिमलहावइवर वेबसाइट के मुताबिक चंगेज खान की सैनिकों ने 90 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अपना सम्राज्य स्थापित करने के लिए कई तरीके अपनाए। इस दौरान मंगोल सैनिक खुद को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए इन घोड़ों का दूध और खून पीते थे। आज भी मंगोलिया के कुछ इलाकों में ये चलन है।

10,000 साल पुराना है इन घोड़ों का इतिहास

दुनिया भर के घोड़ों से जुड़ी जानकारी देने वाले वेबसाइट ग्लोबट्रॉटर डॉट कॉम के मुताबिक भले ही मंगोल नस्ल को घोड़ों को पालतू बनाया जाना 4,000 साल पहले शुरू हुआ हो, लेकिन सेंट्रल एशिया में इस नस्ल के घोड़ें की मौजूदगी 10 हजार साल पहले से है।

मंगोलियाई शासक चंगेज खान ने इसी घोड़े की ताकत पर एशिया और यूरोप के 90 लाख वर्ग किलोमीटर में अपना सम्राज्य स्थापित कर लिया था। चंगेज खान हर रोज इस घोड़े पर बैठकर 80 मील यानी 128 किलोमीटर की यात्रा करता था। उस वक्त से अब तक इस घोड़े का इस्तेमाल इन 5 कार्यों के लिए होता था।

  • सवारी के लिए
  • माल ढुलाई के लिए
  • दूध के लिए
  • शिकार के लिए
  • आध्यात्मिक वजहों से

जितनी मंगोलिया की जनसंख्या उतनी ही घोड़ों की संख्या

जानकारी अनुसार मंगोलिया में अब भी हार्स कल्चर काफी ज्यादा फल-फूल रहा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2020 में इस देश की आबादी 33 लाख थी और यहां घोड़ों की संख्या 30 लाख थी। आज भी घोड़ा यहां पारंपरिक जीवन शैली के केंद्र में हैं।

अभी भी बड़ी संख्या में मंगोल लोग खानाबदोश

इसकी वजह है कि अभी भी यहां बड़ी संख्या में मंगोल लोग खानाबदोश जिंदगी जीते हैं। ये लोग भोजन और कई अन्य संसाधनों के लिए मवेशियों, बकरियों, भेड़ों, याक, ऊंटों और घोड़ों के झुंड पर निर्भर हैं। मंगोल नस्ल के घोड़ा रखने वाले लोगों को यहां धनी माना जाता है। इसी वजह से मंगोलिया में एक कहावत काफी फेमस है कि ‘घोड़े के बिना मंगोल बिना पंखों के पक्षी के समान है।’

मंगोलिया हर साल बेच देता है 2 हजार करोड़ के बाल

मंगोलिया हर साल करीब 2 हजार करोड़ रुपए का घोड़े का बाल बेचता है। ओईसी डॉट वर्ल्ड के मुताबिक मंगोलिया से दुनिया के दूसरे देशों में भेजे जाने वाले 5 सबसे ज्यादा सामानों में से एक घोड़े का बाल भी है। 2020 में मंगोलिया ने 1865 करोड़ रुपए का घोड़े का बाल दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किया है।

इस साल 263 करोड़ रुपए का घोड़ों का मांस किया निर्यात

इसके अलावा इस साल 263 करोड़ रुपए का घोड़े का मांस मंगोलिया ने एक्सपोर्ट भी किया है। मंगोलिया के हर घर में दूध और मांस के लिए इन घोड़ों का इस्तेमाल हो रहा है। कम दूरी की यात्रा या सवारी के लिए भी लोग घोड़े का इस्तेमाल करते हैं जिससे पेट्रोल और डीजल की खपत कम होती है।

मंगोल के घुड़सवारों से बचने के लिए चीन ने बनाई दीवार

साइंस डॉट ओरजी की रिपोर्ट में मंगोल के घोड़ों और घुड़सवारों के बारे में बताया गया है। करीब 2200 साल पहले चीनी सेना और चंगेज खान के घुड़सवार तीरंदाजों के बीच घमासान जंग हुई। इस दौरान मंगोल घोड़ों की वजह से चंगेज खान के सैनिक काफी ताकतवर हो गए थे। इसी वजह से 220 से 226 ईसा पूर्व में चीन के प्रथम सम्राट शी हुआंग को 6400 किलोमीटर लंबी चीन की दीवार बनानी पड़ी थी।

2003 के ‘द अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमेन जेनेटिक्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में चंगेज खान के वंश के करीब 1.6 करोड़ पुरुष मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा इस वंश के लोग हैं। इसके पीछे मंगोल घुड़सवारों को बताया गया है। दरअसल, इन घोड़ों पर सवार होकर चंगेज सैनिक जहां भी जाते महिलाओं का रेप करते और आतंक मचाते थे।

राजनाथ सिंह को मिला घोड़ा नहीं लाया जाएगा भारत

मंगोलिया में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जो घोड़ा गिफ्ट में मिला है, वह अपने देश नहीं आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मंगोलिया में राजनाथ सिंह को गिफ्ट सांकेतिक उपहार के तौर पर मिला है।

ये है न लाने की वजह…

दरअसल, 2005 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एक कानून बनाया जिसके तहत पशुओं के गिफ्ट लेने-देने पर रोक लगा दी गई। हालांकि, इस तरह की गिफ्ट लेने की मनाही नहीं है, यह देने वाले देश की इच्छा पर निर्भर करता है लेकिन घरेलू कानून की वजह से इन जानवरों को देश नहीं लाया जाता है। इसी वजह से नरेंद्र मोदी को जब 2015 में मंगोलिया में घोड़ा मिला था तो उसे वहीं भारतीय दूतावास में छोड़ दिया गया था।

ये भी पढ़ें: 12 सितंबर तक गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से वापस आ जाएंगे भारत और चीन के सैनिक
ये भी पढ़ें: जानिए त्वचा के लिए कैसे लाभकारी है तुलसी ?
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ट्रेन में सो रहा था यात्री और तभी…शख्स ने पार कर दी हैवानियत की सारी हदें, तस्वीरें और वीडियो देख दहल जाएगा कलेजा
ट्रेन में सो रहा था यात्री और तभी…शख्स ने पार कर दी हैवानियत की सारी हदें, तस्वीरें और वीडियो देख दहल जाएगा कलेजा
सड़ने लगी है किडनी, कोने-कोने में जम गया है मैल? अनहोनी होने पहले हो जाएं सावधान, वरना होगा ऐसा हाल!
सड़ने लगी है किडनी, कोने-कोने में जम गया है मैल? अनहोनी होने पहले हो जाएं सावधान, वरना होगा ऐसा हाल!
क्या आने वाले समय राष्ट्रपति बनेंगे एलन मस्क? इस सवाल का ट्रंप ने दिया ऐसा जवाब, हिल गए बाकी देश
क्या आने वाले समय राष्ट्रपति बनेंगे एलन मस्क? इस सवाल का ट्रंप ने दिया ऐसा जवाब, हिल गए बाकी देश
सालों से आंतों में जमी गंदगी ने घेर लिया है आपको? शुरू कर दें इन 3 चीजों का खान-पान, बच जाएगी जान!
सालों से आंतों में जमी गंदगी ने घेर लिया है आपको? शुरू कर दें इन 3 चीजों का खान-पान, बच जाएगी जान!
खाड़ी देशों में बढ़ेगा भारत का रुतबा, कुवैत के साथ हुए कई अहम समझौते, रक्षा के साथ इस क्षेत्र में साथ काम करेंगे दोनों देश
खाड़ी देशों में बढ़ेगा भारत का रुतबा, कुवैत के साथ हुए कई अहम समझौते, रक्षा के साथ इस क्षेत्र में साथ काम करेंगे दोनों देश
दक्षिण अमेरिकी देश में हुआ जयपुर जैसा अग्निकांड, हादसे में 30 से ज़्यादा लोगों की हुई मौत, जाने कैसे हुई दुर्घटना
दक्षिण अमेरिकी देश में हुआ जयपुर जैसा अग्निकांड, हादसे में 30 से ज़्यादा लोगों की हुई मौत, जाने कैसे हुई दुर्घटना
यमुना नदी पर नया पुल तैयार, महीने भर बाद ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार, 1866 में हुआ था पुराने पुल का निर्माण
यमुना नदी पर नया पुल तैयार, महीने भर बाद ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार, 1866 में हुआ था पुराने पुल का निर्माण
प्रदूषण से घुटा दिल्ली के जल निकायों का दम, MCD के वकील ने मांगा 4 हफ्ते का समय
प्रदूषण से घुटा दिल्ली के जल निकायों का दम, MCD के वकील ने मांगा 4 हफ्ते का समय
Today Horoscope: इस 1 राशि का आज चमकेगा भाग्य, वही इन 3 जातकों के रस्ते आएंगी रुकावटें, जानें आज का राशिफल!
Today Horoscope: इस 1 राशि का आज चमकेगा भाग्य, वही इन 3 जातकों के रस्ते आएंगी रुकावटें, जानें आज का राशिफल!
कहासुनी के बाद तेज गति से दर्जनभर लोगों पर चढ़ा दी गाड़ी, 3 की मौके पर मौत
कहासुनी के बाद तेज गति से दर्जनभर लोगों पर चढ़ा दी गाड़ी, 3 की मौके पर मौत
इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी दिल्ली की झांकी, रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई
इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी दिल्ली की झांकी, रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई
ADVERTISEMENT