इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (26th World Spiritual) : 26वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन का उद्घाटन सावन कृपाल रूहानी मिशन एवं मानव एकता सम्मेलन के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने मंगलवार को किया। कार्यक्रम की शुरूआत में आदरणीय माता रीटा जी ने विदेशी भाई-बहनों के साथ गुरु अर्जन देव जी महाराज की वाणी से गुरु जी के दरसन को बल जाऊ शब्द का गायन किया।
आठ दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन के अपने उद्घाटन प्रवचन में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने स्वयं को आत्मिक रूप में अनुभव करने और अपने मनुष्य जीवन के ध्येय को पूरा करने के लिए तेजी से कदम उठाने पर जोर दिया। दर्शन-दिव्य-प्रेम और करुणा के मसीहा विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज दिव्य-प्रेम और करुणा के मसीहा थे
। उन्होंने कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज का जीवन हमारे सामने एक उदाहरण है कि कैसे हम शांति, नम्रता और दिव्य-प्रेम से भरपूर जीवन जीते हुए अपने जीवन के ध्येय जोकि अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना है को इसी जीवन में पा सकते हैं।
संत दर्शन सिंह जी महाराज कहा करते थे कि प्रभु एक है और हम सब प्रभु के प्रेम का अनुभव अंदर की दुनिया में जाकर कर सकते हैं। बाहरी तौर पर संस्कृति, भाषा और दूसरे अंतर होते हुए भी असल में हम आत्मा हैं जोकि पिता-परमेश्वर का अंश है। हम सब यहां एक ही उद्देश्य से भेजे गए हैं। वह है अपनी आत्मा का मिलाप पिता-परमेश्वर से करवाना।
जब हम ध्यान-अभ्यास के द्वारा अपने अंतर में प्रभु की सत्ता से जुड़ते हैं तो वो हमें खुशी और आनंद की अवस्था में ले जाकर हमें हमारे जीवन के उद्देश्य की ओर अग्रसर करती है। कार्यक्रम के अंत में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि आज जब हम सब यहां संत दर्शन सिंह जी महाराज की याद में एकत्रित हुए हैं तो हमें चाहिए कि हम उनके दिखाए रास्ते पर चलें ताकि हम अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य की ओर कदम सकें।
आठ दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मानव एकता के विश्व व्यापी संदेश को पूरी दुनिया में फैलाना और जिज्ञासुओं को ध्यान-अभ्यास की तकनीक सीखने में मदद करना है।
सम्मेलन में इलाहाबाद से आए जगतगुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगी जी ने संत दर्शन सिंह जी महाराज के प्रेम और दया के बारे में बताते हुए कहा कि किस तरह वो सभी लोगों की अध्यात्म के सिद्धांतों को समझाने के लिए मदद करते थे।
नामधारी पंथ के सत्गुरु उदय सिंह जी (भैनी साहिब) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे यह देखकर बड़ी अत्यंत प्रसन्नता होती है कि सिर्फ इसी मिशन में सभी धर्मों के लोग एक साथ बैठकर प्रभु को याद करते हैं। ऋषिकेश से आए महंत रवि शास्त्री जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज पूरे विश्व में अध्यात्म की खुशबू को फैलाया।
जुडा हयाम के मानद सचिव रब्बी एजे़किल इजाक मालेकर ने अपने संदेश में संत दर्शन सिंह जी महाराज के दिव्य-प्रेम के बारे में बताया। सेमिनार के अन्य वक्ताओं में अमेरिका से आई बहन ईसाबेल वॉल्फ और स्वीट्जरलैंड से आए भाई माईकल ग्रेयसन ने संत दर्शन सिंह जी महाराज के जीवन के कुछ प्रेरणादायी व दयामेहर से भरपूर संस्मरण श्रोताओं के सामने रखे।
सेमिनार के अंतिम चरण में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने दो नई पुस्तकें रहमते-दर्शन भाग-2 और सकारात्मक अध्यात्म का विमोचन अपने कर-कमलों से किया। इसके अलावा उन्होंने संत दर्शन सिंह जी महाराज के 100 आॅडियो सत्संगों की एक पेन ड्राईव का भी विमोचन किया।
26वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर एक तरही मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसकी शुरूआत आदरणीया माता रीटा जी ने महान सूफी शायर, संत दर्शन सिंह जी महाराज की एक रूहानी गजल गाकर की। इसके अलावा हिन्दुस्तान के कई मशहूर शायरों ने भी इस मौके पर अपने बेहतरीन सूफी कलामों से उपस्थित जनसमूह को रूहानियत और मुर्शिद के इश्क में सराबोर कर दिया।
सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कृपाल बाग़्ा में 58वें रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 210 भाई-बहनों ने रक्तदान किया। सम्मेलन में विश्व के अनेक देशों से आए लगभग 100 प्रतिनिधियों के अलावा भारत के विभिन्न भागों से आए हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। 26वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन का समापन समारोह 20 सितंबर 2022 को संत दर्शन सिंह जी धाम, बुराड़ी, में आयोजित किया जाएगा।
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