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इंडिया न्यूज, जेनेवा, (Turkey On Jammu-Kashmir): संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का राग छेड़ा है। भारत की ओर से इस मामले में पहले भी कड़ी आपत्ति जताई गई थी और उसके बावजूद तुर्की ने दोबारा कश्मीर का मुद्दा उठाया। भारत ने तुर्की को अब भी कड़ा जवाब दिया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की के अपने समकक्ष मेवलुत कावुसोगलु से मुलाकात कर साइप्रस का मुद्दा उठाया। उन्होंने टवीट कर स्वयं इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि तुर्की के लिए साइप्रस का मुद्दा हमेशा दुखती रग रहा है और भारत ने कश्मीर पर बोलने के एवज में उसकी इसी नस को दबाया है। पहले की तरह जयशंकर ने अर्दोआन के बयान के कुछ घंटों में ही उन्हें जवाद दे दिया है।
गौरतलब है कि इससे पहले 2021 में अर्दोआन ने कश्मीर का जिक्र किया था। उन्होंने तब कहा था उम्मीद है कि इस मसले का हल दोनों पक्ष शांतिपूर्वक करेंगे। जयशंकर ने ट्वीट कर यह भी लिखा कि कावुसोगलु के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने साइप्रस, जी-20 देश, खाद्य सुरक्षा व युक्रेन संकट सहित कई मुद्दों पर वार्ता की। भारत की इस कूटनीति को तुर्की के कश्मीर राग के लिए करारा जवाब माना जा रहा है।
बता दें कि साइप्रस का संकट 1974 में तब शुरू हुआ था, जब तुर्की ने हमला कर उसके उत्तरी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद सैन्य तख्तापलट के कारण साइप्रस में स्थिति बिगड़ गई थी। इसी का लाभ उठाते हुए तुर्की ने साइप्रस का उत्तरी इलाका कब्जा लिया था। तभी से ही भारत इस बात का समर्थक रहा है कि मामले का हल संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक निकाला जाना चाहिए।
अर्दोआन ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि कि भारत-पाकिस्तान को आजाद व संप्रभु देश बने 75 साल बीत गए हैं, पर अब तक दोनों देशों में शांति बहाल नहीं हुई है जो दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि कश्मीर का जल्द समाधान होगा और वहां स्थायी तौर पर शांति बहाल होगी। बता दें कि भारत के साइप्रस के साथ हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं और साइप्रस भी कश्मीर के मसलों पर पिछले पांच दशक से भारत के रुख का समर्थन करता रहा है।
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