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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Supreme Court On Demonetization): सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नोटबंदी के फैसले पर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। मामले की सुनवाई कर रही पीठ का कहना है कि इसमें पहले यह जांच की जाएगी कि नोटबंदी के फैसले को चुनौती दे रही याचिकाएं अकादमिक तो नहीं बन गई हैं। शीर्ष अदालत के मुताबिक यह भी देखना होगा कि यह सुनवाई लायक है अथवा नहीं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था। इसके बाद दायर याचिकाओं में छह साल बाद सुनवाई हो रही है। जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की संविधान पीठ केंद्र सरकार नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं पर विचार कर रही थी।
जस्टिस नजीर ने याचिका पर सुनवाई के दौरान जब सवाल किया कि क्या अब भी यह बचा है, इसपर वकील ने कहा, शीर्ष अदालत ने वर्ष 2016 में कई मुद्दों की पहचान की थी और नोटबंदी के इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था। उन्होंने बताया कि मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी गई थी। जस्टिस गवई की तरफ से भी बाद में इसी तरह का सवाल किया गया।
जस्टिस गवई द्वारा इस पर किए गए सवाल में कहा गया कि इतने बड़े लेवल पर पेंडिंग होने के बाद भी पांच जजों की पीठ के अकादमिक मुद्दों पर क्या विचार करना चाहिए? क्या कोर्ट के पास अकादमिक मुद्दों के लिए टाइम है। इसके बाद जस्टिस नजीर ने मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर तय की।
सरकार की तरफ से सुनवाई के दौरान कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक उद्देश्यों के लिहाज से अब ये मसले नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा, यदि शैक्षणिक मकसद से पीठ इन पर विचार करना चाहती है, तो हम मदद कर सकते हैं।
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