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इंडिया न्यूज़, भोपाल: भारतीय संस्कृति में स्वच्छता का बहुत महत्व रहा है। स्वच्छता हमारी जीवन शैली का अभिन्न अंग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने वर्ष 2014 में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के रूप में दुनिया के सबसे बड़े जन आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसके सकारात्मक परिणाम आज सामने आ रहे हैं। मिशन के प्रयासों से नागरिकों के जीवन स्तर, स्वास्थ्यगत और पर्यावरणीय परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है।
देश का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश अब स्वच्छता के क्षेत्र में भी पूरे देश में नवाचारों से अपना नाम रोशन कर रहा है। स्वच्छता पर जनभागीदारी का एक ऐसा मॉडल प्रदेश ने पेश कियाहै, जो आज कई राज्यों के लिए एक नजीर बन चुका है। प्रदेशवासियों ने गांव, शहर को सुंदर व स्वच्छ रखने में भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझा है। इस दौरान प्रदेश भर में लाखों टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से जहां सुरक्षित निपटारा किया गया है, वहीं शहरों में सूखे कचरे के संग्रहण की मात्रा दिनों-दिन कम हो रही है।
ग्रामीण इलाकों में भी गीले और सूखे कचरे के निष्पादन के लिए व्यवस्था बनाई गई है । कचरा परिवहन के लिए सात हजार 269 वाहन खरीदे गए। गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने के लिए दो हजार 467 शेड बनाए गए। घरों से निकलने वाले पानी का प्रबंधन किया गया। अभी तक 13 हजार 23 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। तीन लाख 69 हजार 534 व्यक्तिगत और 14 हजार 116 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया है।
प्रदेश के इंदौर शहर ने प्रतिवर्ष किये गए स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज इंदौर देश का ऐसा पहला शहर है जहां लोग अपने घर के कूड़े को दो नहीं बल्कि छह भागों में अलग-अलग करते हैं, जिससे इसकी निष्पादन लागत में काफी कमी आई है। उनका यह प्रयास वेस्ट टू वेल्थ की परिकल्पना को साकार कर रहा है।
इंदौर में देश का सबसे बड़ा बायो-मेथेनेशन प्लांट भी स्थापित किया गया है जिसमें प्रतिदिन 500 टन गीले कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। यही नहीं इंदौर कार्बन क्रेडिट से धन संग्रहण करने वाला देश का एकमात्र शहर बन गया है। इससे इंदौर को 52 लाख रुपये की अतिरिक्त आय भी हुई है ।
मध्य प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां व्यक्तिगत, सामुदायिक, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, वहीं दूसरी तरफ कचरा प्रसंस्करण इकाइयों और सुविधाओं के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है । नागरिकों की जनभागीदारी बढ़ाने के लिए प्रदेश में 20 हजार से अधिक जन-अभियानों का संचालन किया गया है। प्रदेश के शहरी इलाकों में घरों और व्यावसायिक परिसरों से वाहनों द्वारा कचरा संग्रहण व्यवस्था संचालित की जा रही है।
प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक को भी पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया है और 2020-21 से जीरो वेस्ट इवेंट प्रोटोकॉल को जारी किया गया है। प्रदेश के लोगों को होम कम्पोस्टिंग के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। कचरा संग्रहीत करने के लिए 5423 से अधिक मोटराइज्ड वाहन उपलब्ध करवाए गए हैं, जिनमें सूखे, गीले कचरे को रखने के लिए अलग कम्पार्टमेंट बनाये गए हैं।
साथ ही नगरीय निकायों में बेहतर काम करने वाले सफाईकर्मियों को प्रोत्साहित किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में भी गीले और सूखे कचरे के निष्पादन के लिए व्यवस्था बनाई गई। प्रदेश में अभी तक 13 हजार 23 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है।
प्रदेश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वेस्ट-टू-वेल्थ के स्वप्न को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रदेश का यह कदम आत्म-निर्भरता की संकल्पना को साकार करेगा। प्रदेश में शहरी गीले कचरे से बायो गैस, बायो सीएनजी बनाने के लिए बहु-उद्देश्यीय इकाइयों की स्थापना के लिये नीतिगत निर्णय भी लिया गया है । प्रदेश में गीले कचरे से बायोगैस बनाने हेतु प्रयास तेजी से किये जा रहे हैं।
इसके लिए इंदौर, देवास, उज्जैन, भोपाल में कई इकाइयों के माध्यम से कार्य जारी है। इस दौरान नगर निगम ग्वालियर में गौशालाओं से प्राप्त होने वाले गोबर से बायोगैस बनाने की दिशा में प्रयास शुरू हुए हैं। मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री के स्वच्छता के मंत्र को आत्मसात कर जनसहभागिता से स्वच्छता के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान रच रहा है। जनभागीदारी पर आधारित इंदौर का स्वच्छता मॉडल आज पूरे देश में अपनी चमक बिखेर रहा है। निरंतर किए जा रहे नवाचरों का परिणाम है कि आज प्रदेश स्वच्छता में नए मुकाम हासिल कर रहा है।
हाल ही में स्वच्छ भारत मिशन के स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण वर्ष 2022के परिणामों में वेस्ट जोन मंय उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश को प्रथम स्थान मिला है। उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों में भोपाल को पहला और इंदौर को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार सुजलाम अभियान-1 में श्रेष्ठ कार्य के लिये मध्यप्रदेश को पहला और सुजलाम अभियान-2 में मध्यप्रदेश को चौथा पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के मामले में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन पश्चिम जोन में अच्छा रहा है। प्रदेश को गंदे पानी के प्रबंधन के लिए सुजलाम अभियान के पहले चरण में प्रथम और दूसरे चरण में चौथा स्थान मिला है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो अक्टूबर को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में स्वच्छ भारत दिवस पर यह पुरस्कार प्रदान करेंगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता ही नहीं, समर्पण भाव भी दृढ़ हुआ है। गांवों की भी अब नई तस्वीर उभरी है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ने प्रधानमंत्री के स्वच्छता के मंत्र को आत्मसात कर जनसहभागिता से स्वच्छता के क्षेत्र में कीर्तिमान रचा है, जो प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि हम सब मिलकर स्वच्छ व सुंदर मध्य प्रदेश के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हैं।
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