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Vinayaka Chaturthi 2022 Puja Vidhi: कार्तिक माह की विनायक चतुर्थी आज 28 अक्टूबर को है। आज के दिन व्रत रखा जाता हैं और साथ ही भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा विधि विधान से शुभ मुहूर्त में करते हैं। बता दें कि भगवान गणेश जी का दूसरा नाम विनायक है। इस वजह से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। ये तिथि गणेश जी की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है।
आज के दिन चंद्रमा के दर्शन से परहेज करना चाहिए। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव बता रहे हैं यहां विनायक चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में कुछ जरुरी बातें।
वहीं दूसरी तरफ श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी का कहना है कि अगर आप किसी संकट में हैं या आपके जीवन में किसी प्रकार का दुख या कष्ट है, तो आप विनायक चतुर्थी व्रत के दिन या फिर बुधवार के दिन श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम् का पाठ करें।
ये सभी प्रकार के विघ्न-बाधाओं को दूर कर जीवन में सुख एवं शांति प्रदान करता है। इसके श्लोक संस्कृत में हैं और पढ़ने में कठिन हो सकते हैं। आप इसको पढ़ते समय शुद्ध उच्चारण ही करें। इसका पाठ करने से पूर्व गणेश जी का विधि विधान से पूजन कर लेना चाहिए।
श्री सिद्धिविनायक स्तोत्रम्
विघ्नेश विघ्नचयखण्डननामधेय
श्रीशंकरात्मज सुराधिपवन्द्यपाद।
दुर्गामहाव्रतफलाखिलमङ्गलात्मन्
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥1॥
सत्पद्मरागमणिवर्णशरीरकान्तिः
श्रीसिद्धिबुद्धिपरिचर्चितकुङ्कुमश्रीः।
दक्षस्तने वलयितातिमनोज्ञशुण्डो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥2॥
पाशाङ्कुशाब्जपरशूंश्र्च दधच्चतुर्भिर्दोर्भिश्र्च
शोणकुसुमस्त्रगुमाङ्गजातः।
सिन्दूरशोभितललाटविधुप्रकाशो विघ्नं
ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥3॥
कार्येषु विघ्नचयभीतविरञ्चिमुख्यैः
सम्पूजितः सुरवरैरपि मोदकाद्यैः।सर्वेषु च प्रथममेव सुरेषु पूज्यो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥4॥
शीघ्राञ्चनस्खलनतुङ्गरवोर्ध्वकण्ठ
स्थूलेन्दुरुद्रगणहासितदेवसङ्घः।
शूर्पश्रुतिश्र्च पृथुवर्तुलङ्गतुन्दो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥5॥
यज्ञोपवीतपदलम्भितनागराजो
मासादिपुण्यददृशीकृतऋक्षराजः।
भक्ताभयप्रद दयालय विघ्नराज
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥6॥
सद्रत्नसारततिराजितसत्किरीटः
कौस्तुम्भचारुवसनद्वय ऊर्जितश्रीः।
सर्वत्र मङ्गलकरस्मरणप्रतापो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥7॥
देवान्तकाद्यसुरभीतसुरार्तिहर्ता
विज्ञानबोधनवरेण तमोऽपहर्ता।
आनन्दितत्रिभुवनेश कुमारबन्धो
विघ्नं ममापहर सिद्धिविनायक त्वम्॥8॥
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