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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Balaji Rath Yatra 2021 : बुरहानपुुर में भगवान जगन्नाथ की तर्ज पर 450 वर्षों से निकल रहा है, भगवान बालाजी का रथ जो कि रातभर नगर में भ्रमण करते थे, किन्तु कोरोना काल के चलते इस वर्ष बालाजी महाराज का रथ सीमित समय तक ही नगर भ्रमण कर सकता है, वह भी कोरोना गाइड लाइन के तहत रथ के साथ केवल 10 लोग ही रह सकते है, यह रथ यात्रा ऐसा विजया दषमी तक होती है, उसके पश्चात बालाजी का तीन दिवसीय विषाल मेला ताप्ती तट पर लगता है, मुगल स्थापत्य शैली में बने हुए मंदिर में बालाजी की प्रतिमा है सत्रहवी शताब्दी के प्रारंभ में मुगलकाल में संत रत्नाकर की पीढी से संत श्री एकनाथ महाराज ने बडी ही कष्टदायक यात्रा के पष्चात इसे बुरहानपुर लाया गया था।
भारत वर्ष में केवल बुरहानपुर ही एक ऐसा शहर हैं जहां 15 दिनों तक बालाजी महाराज रात्री में रथ में बैंठ कर अलग-अलग रूपों में सवारी कर निकलते हैं और भक्तों को उनके द्वार पंहुचकर ही देते हैं दर्षन, 15 दिनों का यह महोत्सव मां शक्ति के विराजीत होते ही भक्त बाजाली महाराज की भक्ती में डूब जाते हैं, 450 वर्ष पुरानी इस परंपरा को आज भी निभा रहे हैं इस परंपरा को बालाजी महाराज रोज रात्री में 7 बजे से नगर भ्रमण पर निकल कर अलसुबह में 4 बजे तक मंदिर पंहुचते थे, (Balaji Rath Yatra 2021)
किन्तु कोरोना काल के चलते जिला प्रशासन ने रथ यात्रा बंद नही की किन्तु कोरोना गाइड लाइन के तहत नियम लागू कर दिए है अब बालाजी महाराज की रथ यात्रा रात 8 बजे से 12 बजे तक कि नगर भ्रमण करेगी, और रथ यात्रा में 10 लोगो से अधिक शामिल नही हो सकेंगे, पहले दिन बालाजी महाराज नगर भ्रमण पर निकले और भक्तो को उनके घर पहुचकर दर्शन दिए, इस दौरान शासन के नियमो का पालन किया गया, (Balaji Rath Yatra 2021)
पहले दिन प्रतिप्रदा को हाथी की सवारी करते हैं वहीं द्वितीया को घोडे की, तृतिया को सूर्य की, चतृर्थी को चंद्रमा की, पंचमी को नाग की, सष्ठी को सिंह सार्दुन की, सप्तमी को शेर की, अष्ठमी, नवमी को गरूड की, और दषमी को बडे रथ में सवार घोडे पर सवार होकर शाही सवारी के रूप में निकलते हैं, (Balaji Rath Yatra 2021)
कहा जाता है कि बालाजी वाले परिवार केे पूर्वज रतनाकर महाराज ने तिरूपति से बालाजी की मुर्ती लाकर स्थापित की थी तभी मुगल काल के किसी बादषाह ने प्रसन्न होकर रत्नाकरजी को न्यायालय में बालाजी महाराज की स्थापना की अनुमति दे दी थी तब से आज तक यह परंपरा चली आ रही हैं यहीं नहीं बालाजी के बाद एकादषी पर बालाजी महाराज सतीयारा घाट पंहुचकर स्नान कर विराजमान होते हैं (Balaji Rath Yatra 2021)
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