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अपनी लवर श्रद्धा की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े करने के आरोपी आफताब पूनावाला का पॉलीग्राफी टेस्ट का रास्ता साफ हो गया है. दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में सोमवार को साकेत कोर्ट में अर्जी दायर कर टेस्ट की परमीशन देने की अपील की थी. पुलिस की अपील पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आफताब के पॉलीग्राफी टेस्ट की अनुमति दे दी है. माना जा रहा है कि पुलिस अब एक-दो दिनों में आफताब का पॉलीग्राफी टेस्ट करवाकर इस हत्याकांड से कई राज उजागर कर सकती है.
गौरतलब है पॉलीग्राफ टेस्ट हमारे देश में कई आतंकियों, अपराधियों पर सफलतापूर्वक किया जा चुका है. पॉलीग्राफ टेस्ट के बारे में सबसे पहले 1730 में एक ब्रिटिश उपन्यासकार डैनियलडिफो ने एक लेख में लिखा था. 1878 में इस कहानी में जिक्र किए गए पॉलीग्राफ मशीन से मिलता-जुलता यंत्र इटैलियन फिजिशिस्ट एंजेलो मोसो ने बनाया. 1895 में इस मशीन में लोमब्रोसो ने ब्लडप्रेशन नापने की यूनिट जोड़ी. अंततः 1921 में जॉन अगस्तस लार्सन ने इस मशीन को पूरी तरह बनाया.
बता दें पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान यह देखा जाता है कि सवालों के जवाब देते समय क्या इंसान झूठ बोल रहा है या सच. इंसान जब भी झूठ बोलता है, तब उसका हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, बदलता है. पसीना आता है. आंखें इधर-उधर जाती हैं. कई बार पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान हाथ-पैर के मूवमेंट पर भी ध्यान दिया जाता है. हालांकि पॉलीग्राफ मशीन पर टेस्ट के दौरान आमतौर पर चार चीजें देखी जाती हैं.
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