इंडिया न्यूज़ :– साल 2022 का आखिरी महीना दिसंबर शुरू हो चुका है. आज 3 तारीख है. इस महीने का तीसरा दिन यानी 3 दिसंबर है. अगर आप आज के इस दिन को इतिहास के चश्मा लगा कर देखेंगे तो कई ऐसी घटनाएं देखने को मिलेंगी जिन्हें शायद ही कोई कभी भुला पाए खासतौर पर भोपाल में रहने वाले लोग.आज के दिन कुछ घटनाएं अच्छी तो कुछ बहुत ही ज़्यादा बुरी भी थीं. 3 दिसंबर के नाम दर्ज सबसे बुरी घटना भोपाल गैस त्रासदी है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक प्लांट से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था और इस हादसे में हजारों लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी, इसमें हज़ारों लोग घायल भी हुए थे. इस घटना के बारे में हम विस्तार से बात करेंगे, इससे पहले आज की तारीख़ को और क्या हुआ उनके बारे में आप सभी को बताते हैं.
इसी तारीख को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का भी निधन हुआ था. इनके अलावा देश और दुनिया की कई ऐसी घटनाएं हैं जो 3 दिसंबर को हुईं. 1790 में आज ही के दिन लॉर्ड कार्नवालिस ने मुर्शीदाबाद के नवाब से फौजदारी न्याय प्रशासन का अधिकार छीन लिया था और सदर निजामत अदालत कलकत्ता ले गए थे.1829 में आज के दिन वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने भारत में सती प्रथा पर रोक लगाई.1882 में 3 दिसम्बर को आधुनिक भारतीय चित्रकला के प्रणेताओं में से एक नन्दलाल बोस का जन्म हुआ था. 1884 में 3 दिसम्बर को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था.
1971में आज के दिन भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ा और राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा की. युद्ध की परिणति बांग्लादेश के उदय में हुई. अगर बात 1979 की करें तो आज ही के दिन: हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का निधन हुआ था.
1979 में ईरान ने इस्लामी संविधान अपनाया.1982 में आज के दिन भारतीय महिला क्रिकेटर मिताली राज का जन्म हुआ था
1984 में भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से जहरीली गैस का रिसाव हुआ, इससे हजारों लोगों की मौत हो गई थी और उससे कई गुना ज्यादा लेाग बीमार हुए थे. दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी में इसे गिना जाता है.ये रात वो काली रात थी जब पूरे भोपाल के आबो हवा में ज़हर घुला हुआ था.भोपाल गैस त्रासदी की आज 38वीं बरसी है। 38 साल पहले की 3 दिसंबर की सुबह भोपाल के लिए बेहद भयानक थी। रात को सोने गए हजारों लोग ये नहीं जानते थे कि वो सुबह की रोशनी नहीं देख पाएंगे और इसमें उनका कोई दोष नहीं था। 2-3 दिसंबर, 1984 को भोपाल के जेपी नगर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के प्लांट नंबर-सीके टैंक नंबर-610 से मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था। इससे हजारों परिवार तबाह हो गए। रात को जब लोग नींद में थे, भोपाल शहर में लाशों का ढेर लग चुका था। हालात यह थी कि लाशों को ट्रक में लोड करके ले जाना पड़ा। लाशों को ढोने के लिए गाड़ियां और अंतिम संस्कार के लिए कफन कम पड़ गए थे।
अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो उस आंकड़ों के अनुसार जहरीली गैस के लीकेज के कुछ घंटों के अंदर तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, भोपाल में मौजूद जो लोग उस वक़्त थे उन लोगों का मानना है कि मृतकों की संख्या 15 हजार से ज्यादा थी। मौतों का सिलसिला हादसे के कई साल बाद तक जारी रहा गैस का असर सालों तक वहां के लोगों का दम घोंटता रहा, उस वक़्त दहशत के मारे लोग जिंदगी बचाने के लिए बदहवास होकर अपने बच्चे को गोद में लिए, परिवार की महिलाओं के साथ सड़कों पर भागने का प्रयास कर रहे थे। कई तो सड़क पर ही गिर गए और फिर कभी नहीं उठे। हजारों लोग भोपााल से बाहर निकलने की कोशिश में थे। कुछ लोगों को जब जहरीली गैस सूंघने में आई तो गंध से फौरन समझ गए कि यह केमिकल फैक्टरी से रिसी जहरीली गैस है। लेकिन हजारों लोगों को यही नहीं पता था कि कोई गैस रिसी है, आंखों में तेज जलन, घुटन से बाहर निकल पड़े थे। उनकी कोई गलती नहीं थी उन्हें पता भी नहीं था कि अगले सेकंड ही उनकी जान चली जाएगी, जो बच गया वो इस दिन को बयां करता है तो सुनने वालों के रोयें खड़े हो जाते हैं.
इस पूरे मामले के दोषी पाए जाने वाले एंडरसन को सजा नहीं मिल पाई, भोपाल की कोर्ट ने फैक्टरी के मालिक एंडरसन को फरार घोषित कर दिया था, 1 फरवरी 1992 को एंडरसन को फरार घोषित कर दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने एंडरसन के खिलाफ 1992 और 2009 में दो बार गैर-जमानती वारंट भी जारी किया, लेकिन ये बड़ी विडंबना है कि उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सितंबर, 2014 में एंडरसन की स्वाभाविक मौत हो गई और उसे कभी इस मामले में सजा नहीं भुगतनी पड़ी। आज भी जिन लोगों ने अपने परिवार के सदस्य को खोया है वो इस दिन को याद करने से घबराते हैं, ये तारिख इतिहास के काले पन्नो में हमेशा के लिए दर्ज़ हो चुकी है. जिसे चाह के भी नहीं भुलाया जा सकता
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