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सरकारी पैसे से राजनीतिक प्रचार: दिल्ली LG ने AAP से 15 दिनों के अंदर ₹97 करोड़ वसूलने का दिया आदेश

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 20, 2022, 5:36 pm IST
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सरकारी पैसे से राजनीतिक प्रचार: दिल्ली LG ने AAP से 15 दिनों के अंदर ₹97 करोड़ वसूलने का दिया आदेश

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्ट से 97 करोड़ रुपए वसूलने के आदेश दिए हैं। मुख्य सचिव को दिए गए आदेश में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी को भुगतान के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। सरकारी पैसे से राजनीतिक प्रचार करने के मामले में यह आदेश दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अपने आदेश में कहा है कि राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापनों के तौर पर प्रकाशित करने के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए की रिकवरी की जाए। यह भी कहा है कि ऐसा करके केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन किया है।

दिल्ली LG ने सरकारी खजाने से राजनीतिक प्रचार पर AAP की निकाली हवा

वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह सितंबर, 2016 के बाद के सभी विज्ञापनों को कमेटी ऑन कंटेंट रेग्युलेशन इन गर्वनमेंट एडवरटाइजिंग (CCRGA) के पास जाँच के लिए भेजें। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सभी विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं।

आदेश में कहा गया है कि सूचना और प्रचार निदेशालय ने जाँच कर बताया था कि 97,14,69,137 रुपए अनुचित विज्ञापनों में खर्च किए गए थे। हालाँकि, इसमें से 42.26 करोड़ रुपए से अधिक की राशि सूचना और प्रसारण निदेशालय द्वारा पहले ही ली जा चुकी है। लेकिन, 54.87 करोड़ रुपए अब भी बाकी है।

भुगतान के लिए 15 दिन का समय

सूचना और प्रचार निदेशालय ने 2017 में आम आदमी पार्टी को 42.26 करोड़ रुपए सरकारी खजाने को तुरंत जमा करने और 54.87 करोड़ रुपए की बकाया राशि विज्ञापन एजेंसियों या संबंधित प्रकाशनों को 30 दिनों के भीतर सीधे भुगतान करने का निर्देश दिया था। लेकिन, पाँच साल और आठ महीने बीत जाने के बाद भी AAP ने आदेशों का पालन नहीं किया।

जानकारी दें, सुप्रीम कोर्ट की अनिवार्य के दिशा निर्देशों के बाद CCRGA का गठन हुआ था। उसने आम आदमी पार्टी को 97 करोड़ 14 लाख रुपए ब्याज के साथ सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया था। कमिटी ने अपने आदेश में कहा कि राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित किया गया, जिससे एक राजनीतिक दल को लाभ मिला। यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना है।

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