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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Qutub Minar was built by Vikramaditya: कुतुबमीनार 12वीं शताब्दी में किसी कुतुबुद्दीनऐबक द्वारा नहीं बनवाया गया था। इसे 4वीं शताब्दी में बनाया (Qutub Minar was built by Vikramaditya) गया था, जिसे उस समय ‘ध्रुवस्तंभ” के रूप में जाना जाता था। दिल्ली में हम जिसे कुतुबमीनार कहते हैं इस कुतुबमीनार को 12वीं शताब्दी में किसी कुतुबुद्दीनऐबक द्वारा नहीं बनवाया गया था। इसे 4वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसे उस समय ‘ध्रुवस्तंभ” के रूप में जाना जाता था।
प्राचीन इतिहासकारों द्वारा बिना तथ्यों की जानकारी जुटाए ही कतिपय नामों की समानता के कारण ऐसा मान लिया गया कि कुतुबमीनार कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाया गया है। ध्रुव स्तंभ को राजाविक्रमादित्य के शासनकाल में बनाया (Qutub Minar was built by Vikramaditya) गया था, वे एक भारतीय सम्राट थे और दुनियां के 3/4 हिस्से पर राज करते थे। यह एक प्राचीन आर्य खगोलीय वेधशाला का केंद्रीय अवलोकन स्तंभ है, इस स्तंभ पर 24 पंखुड़ियों वाले कमल के फूल हैं, जो, प्रत्येक एक घंटे का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ध्रुव स्तंभ, जिसे हम कुतुबमीनार कहते हैं, यह मुस्लिम शासकों द्वारा भारतीय इतिहास को नष्ट करने के प्रयास मात्र के अलावा और कुछ नहीं है, तथा कथित मीनार वास्तव में ध्रुव स्तंभ ही है। जहां तक गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक की बात है तो वो लुटेरा और जेहादी गोरी का गुलाम था और, वो गोरी के साथ ही भारत में जिहाद चलाने आया था जिसे बाद में भारत का प्रभारी बना कर स्थायी तौर पर भारत में जिहाद चलाने की अनुमति दे दी गयी थी जिस दौरान उसने भारत में सिर्फ लूट-पाट मचाई और मंदिरों को तोड़ा।
अब आप सोचेंगे कि ध्रुव स्तंभ का नाम क्यूं और कैसे कुतुबमीनार पड़ा तो हुआ दरअसल ये था कि जब कुतुबुद्दीन जिहाद करते करते दिल्ली पहुंचा तो वहां इतना बड़ा और खुबसूरत स्तम्भ देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया और, उसने अपने साथियों से पूछा कि ये क्या है? तब उसे बताया गया कि हुजुर ये “कुतुब मीनार” अर्थात, उत्तरी धुव का निरीक्षण केंद्र है। बस यहीं से कुतुबुद्दीन ऐबक और साथी ध्रुव स्तंभ को कुतुबमीनार कहने लगे।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने ये कभी भी यह नहीं कहा है कि कुतुबमीनार उसने बनवाया है। लेकिन उसने ये जरुर कबूल किया था कि उसने इस स्तम्भ (Qutub Minar was built by Vikramaditya) के चारों और बनी 27 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया है। इसके बाद इतिहासकारों ने नामों में समानता देख कर बिना कुछ सोचे समझे ही ये नतीजा निकल लिया कि इस कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही बनवाया होगा।
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