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INDIA NEWS (DELHI) : अब उत्तर प्रदेश में यूपी बोर्ड से निजी स्कूलों को आसानी से नहीं मिलेगी मान्यता। इसके लिए शासन ने नए मानकों व शर्तों को मंजूरी दी है।
शासन ने यह मंजूरी बोर्ड द्वारा नए नियमों को लेकर प्रस्तावित किया है। साथ ही बोर्ड के सुझावों व आपत्तियों की तर्कसंगति न होने की बात कहते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है । नई नियम में यह बदलाव किया गया है की,
3000 वर्ग मीटर जमीन शहरी क्षेत्र में विद्यालय खोलने के लिए होना अनिवार्य है। इसके पहले शहरी क्षेत्र में विद्यालय खोलने के लिए 650 वर्ग मीटर जमीन की मान्यता थी। शहरी क्षेत्र की कुल 3000 वर्ग मीटर में 1000 वर्ग मीटर भूमि में क्रीड़ास्थल के लिए जमीन होना अनिवार्य है।
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल खोलने के लिए 6000 वर्ग मीटर जमीन जरूरी होगी। इसके पहले ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 2000 वर्ग मीटर जमीन ही निर्धारित थी साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की 6000 वर्ग मीटर भूमि में 2000 वर्ग मीटर भूमि का क्रीड़ास्थल होना अनिवार्य है।
क्रीड़ा स्थल में एथलेटिक्स, कबड्डी, कुश्ती, खो-खो, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, ओपेन जिम्नेजियम व अन्य आउटडोर खेल होना अनिवार्य है।
इसके पहले ये मान्यता नहीं थी। इसके साथ ही धरोहर राशि को भी कई गुना बढ़ाया गया है। साथ ही स्कूलों में स्मार्ट क्लास व कंप्यूटर क्लास होना भी अनिवार्य है। स्कूल को पुस्तकालय में ज्यादा से ज्यादा पाठ्य सामग्री रखनी होगी। साथ ही शिक्षण सामग्री की पूरी व्यवस्था करानी होगी।
पहले प्राभूत कोष के लिए 15 हजार रुपये राशि निर्धारित थी। अब जमानत में पांच लाख रुपये केवल विद्यालय के नाम जमा व निरीक्षण अधिकारी के पदनाम में बंधक होंगे।
पहले सुरक्षित कोष के रूप में मात्र 3000 रुपये जमा करना रहता था, लेकिन अब सुरक्षित कोष के रूप में 150000 लाख रुपये जमा करना होगा।स्कूल में ऑडियो वीडियो प्रोजेक्टर के साथ -साथ स्मार्ट क्लास व कंप्यूटर कक्ष में कुल 25 कंप्यूटर होना अनिवार्य है।
हाईस्कूल की अनिवार्य शर्तें पूरी करने के बाद इंटरमीडिएट की मान्यता के लिए कुछ अन्य शर्तें भी पूरी करनी होगी। इसके लिए प्राभूत कोष में दो लाख रुपये जमा करना अनिवार्य है । सुरक्षित कोष के लिए एक लाख रुपये अतिरिक्त जमा करनी पड़ेगी।
छात्र संख्या के अनुरूप एक वर्ग मीटर से प्रत्येक छात्र व छात्रा के लिए कुर्सी, मेज, डेस्क बेंच की व्यवस्था होना अनिवार्य है। प्रयोगशाला के लिए भी व्यवस्था सुनिश्चित करानी होगी। स्वच्छ पेयजल, शौचालय की उचित व्यवस्था छात्र, छात्राओं व दिव्यांगजन की सुविधा के अनुसार करनी होंगी। इससे पहले इतनी शर्त नहीं थी।
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