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इंडिया न्यूज ( नई दिल्ली ) : शिरडी के प्रसिद्ध साईं मंदिर को विगत वर्ष जमकर चढ़ावा आया है. इस चढ़ावा ने सारे पिछले रिकार्ड को तोड़कर रख दिया है. मंदिर प्रशासन द्वारा मिली जानकारी के अनुसार साईं बाबा के भक्तों ने 400 करोड़ से अधिक का चढावा दिया है. श्री साई मंदिर ट्रस्ट (Sai Temple Trust) के सीईओ राहुल जाधव के मुताबिक कुल 400 करोड़ 17 लाख 64 हजार 201 रुपये बीते साल दान के रूप में प्राप्त हुए हैं.
मंदिर प्रशासन ने बताया कि 25 दिसंबर से नए साल के अवसर पर भक्तों ने 17 करोड़ 81 लाख रुपये से अधिक की राशि का दान किया है. नव साल के अवसर करीब 8 लाख लोगों ने साईं धाम में अपना हाजिरी लगाई है और जमकर चढ़ावा चढ़ाया है.जानकारी हो कि 400 करोड़ से अधिक की राशि में से 167 करोड़ 77 लाख एक हजार 27 रुपये दान पेटी में आएं है.
वही दान काउंटर पर कटवाई जाने वाली रसीदों से 74 करोड़ 3 लाख 26 हजार 464 रुपये आएं हैं. इसी के साथ ऑनलाइन पेमेंट, मनी ऑर्डर, चेक आदि से 144 करोड़ 45 लाख 22 हजार 497 रुपये की राशि दान के रूप में मिली है. इस दान को लेकर मंदिर प्रशासन का कहना है कि ये अभी तक का सबसे ज्यादा चढ़ावा है. भक्तों ने जमकर साईं के दरबार में दान दिया है.
शिरडी के साईंधाम में प्रतिवर्ष जमकर चढ़वा आता है. वही खास अवसर पर लोग बड़ी संख्या में साईं दरबार आते हैं और दर्शन के साथ दान करते हैं.विगत वर्ष में तमाम छोटे बड़े अवसरों की बात करें तो साल भर में कुल 400 करोड़ से अधिक का चढ़ावा आया है. ये अभी तक का सबसे ज्यादा चढ़ावा है.
साईं दरबार में कोरोना काल में सबसे कम चढ़ावा आया था. दोनो वर्ष में मंदिर मे श्रद्धालुओं के दर्शन की मनाही के कारण लोग मंदिर नही जा सके थे जिस कारण सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से ही लोगो ने चढ़ावा दिया था. वही दो साल बाद जब से मंदिर के दरवाजे आम लोगों के लिए खुले तब से भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है.
दान में मिली हुई राशि का प्रयोग जनहित में किया जाता है. इस राशि से मंदिर ट्रस्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी दी जाती है वही ट्रस्ट द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओं में इस पैसे का प्रयोग किया जाता है. आपको बता दें कि मंदिर ट्रस्ट इन सभी मामलों में प्रतिवर्ष करीब 3 से 4 सौ करोड़ रुपए खर्च करता है. लेकिन कोरोना काल में जब दान में कमी आई तो मंदिर प्रशासन ने एफडी तोड़ दी थी लोकिन जैसे ही स्थिति सामान्य हुई है लोग फिर से मंदिर आने लगे हैं.
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