(दिल्ली) : ऑपरेशन ब्लूस्टार सुनते ही आपके जहन में क्या क्या आता होगा। पंजाब में वो काला दिन जहां 83 सैनिक मारे गए। बताया जाता है कि 1977 के आम चुनाव में मिली हार के बाद इस हार से निजात पाने के लिए इंदिरा गांधी ने एक ऐसे शख्स का सहारा लिया जिसने सात साल के भीतर पंजाब के अलावा पूरे देश में उथल-पुथल मचा दी थी। अमृतसर के गोल्डन टेंपल में चले इसी ऑपरेशन में खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाले को मार गिराया गया था। बता दें, 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व जनरल कुलदीप बराड़ ने किया था। इस ऑपरेशन लो अंजाम देने वाले जनरल बराड़ आज भी खालिस्तान प्रेमी गैंग के टारगेट पर हैं। मालूम हो, 1971 युद्ध के नायकों में से एक बराड़ पर सितंबर 2012 में लंदन में हमला भी हुआ था।
बता दें, दुनियाभर में खालिस्तान प्रेमी लॉबी एक बार फिर से एकजुट हो रही है। पंजाब से लेकर लन्दन, लन्दन से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक खालिस्तानी आतंकी धमकी देते हुए वीडियो जारी करते रहते हैं। आए-दिन ऑस्ट्रेलिया से खबरें आती रहती हैं हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले की। देश -विदेश से सामने आ रही खालिस्तानी गतिविधियों पर ANI की स्मिता प्रकाश को दिए इंटरव्यू में जनरल बराड़ ने ऑपरेशन ब्लूस्टार और पंजाब के उस समय के माहौल पर विस्तार से बातचीत की है। जनरल बराड़ ने खुलासा किया है कि कैसे भिंडरांवाले के मजबूत होने में तत्कालीन प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी की भूमिका थी और फिर उन्होंने कैसे उसे मार गिराने के आदेश दिए थे ।
एएनआई से बातचीत में उन्होंने खुलासा किया है कि खालिस्तान समर्थक भिंडरांवाले को इंदिरा गांधी की तरफ से खुली छूट मिली हुई थी। इंदिरा गांधी के शह से ही वो साल दर साल अपनी पकड़ मजबूत करता गया। यह सब इंदिरा गांधी के आँखों के सामने ही हो रहा था। साल 1980 तक तो सब ठीक चल रहा था। लेकिन बाद में पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ती गई ।
जनरल बराड़ ने आगे कहा कि, जब भिंडरांवाले का कद बढ़ रहा था, तब किसी भी कॉन्ग्रेसी-अकाली ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। इनके अपने राजनीतिक मकसद थे, वे उसी में उलझे रहे। दूसरी ओर, भिंडरांवाले अपनी ताकत बढ़ाता गया। जनरल बराड़ ने यह भी कहा कि भिंडरांवाले रोडे नामक एक गाँव में रहता और भड़काऊ प्रवचन देता था। सरकार की तरफ से मिली खुली छूट पर वो शक्तिशाली बनता जा रहा था। पंजाब में हर जगह लूट-मार, डकैतियाँ और कत्ल की खबरे आम बात हो गई थी। आतंक ले रास्ते पर आगे बढ़ चुका भिंडरावाला इतना शक्तिशाली हो गया था कि पंजाब की पुलिस और प्रशासन उससे डरने लगी थी। भिंडरावाले द्वारा कहे गए शब्द अंतिम आदेश होते थे। पुलिस के अंदर भय तब भर गया जब डीआईजी को मारकर स्वर्ण मंदिर के बाहर फेंक दिया गया था।
कांग्रेस का चरित्र उजागर करते हुए जनरल ने कहा कि साल 1984 की शुरुआत में पंजाब में हालात ऐसे हो गए थे कि भिंडरांवाले खालिस्तान को अलग देश घोषित करने जा रहा था। पंजाब में उस समय बेरोजगारी चरम पर थी। बेरोजगारी के कारण लोग भिंडरावाले गैंग से जुड़ते जा रहे थे। युवा दिनदहाड़े अपनी मोटरसाइकिल में पिस्तौल लेकर घूमते लगे थे।
जनरल कुलदीप बराड़ ने यह भी कहा है कि जब भिंडरांवाले पंजाब में पूरी तरह स्थापित हो गया तब इंदिरा गाँधी ने उसे मारने का आदेश दे दिए थे। ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए खुद के चुनाव को लेकर जनरल बराड़ ने कहा कि इस ऑपरेशन के लिए जिसे चुना गया वह जनरल कुलदीप एक सैनिक हैं। वह एक सिख हैं, हिंदू हैं या पारसी है ये नहीं देखा गया। जनरल बराड़ ने अहम खुलासा करते हुए यह भी बताया कि उस ऑपरेशन में सिर्फ आर्मी थी। पुलिस को इसलिए नहीं जोड़ा गया था कि पुलिस कहीं खालिस्तान का समर्थन न कर दे।
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