इंडिया न्यूज़, दिल्ली : हरियाणा से निर्दलीय सांसद कार्तिक शर्मा इन दिनों पूरे फॉर्म में नजर आ रहे हैं। बजट सत्र के कार्यवाही दौरान सांसद साहब का का तेवर अलग ही नजर आ रहा है। देश- विदेश हो या राज्य के स्थानीय मुद्दे सांसद कार्तिक शर्मा जनप्रतिनिधि होने के नाते अपने कर्तव्य को बखूबी निभा रहे हैं। बीते बुधवार को सांसद महोदय में हरियाणा राज्य में CNG और PNG सुविधाओं को लेकर ऊपरी सदन में केंद्र से जवाब मांगा था। वहीं आज गुरुवार को सांसद कार्तिक शर्मा ने कितने छात्र विदेशों में पढाई करने गए इस मुद्दे पर सरकार से पूछा। साथ ही पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से दिल्ली की दमघोंटू हवा पर जवाब मांगा।
ऊपरी सदन की कार्यवाही के दौरान सांसद कार्तिक शर्मा ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पूछा “क्या सरकार इस तथ्य को स्वीकार करती है कि दिल्ली में हवा सांस लेने लायक नहीं बची है। यदि हां, तो बढ़ते प्रदूषण के क्या कारण हैं ? राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं। राज्यसभा सांसद ने यह भी पूछा कि इन कदमों से दिल्ली के प्रदूषण पर क्या प्रभाव पड़ा है। इस संदर्भ में सरकार के पास तत्संबंधी ब्यौरा क्या है ? क्या एनसीएपी द्वारा दिल्ली और भारत के अन्य शहरों के प्रदूषण को कम किया जा सकता है। यदि नहीं, तो क्या सरकार द्वारा ऐसे और स्वच्छ वायु अभियान चलाने की योजना प्रस्तावित है ?
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का जवाब
सांसद कार्तिकेय शर्मा के सवाल पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (श्री अश्विनी कुमार चौबे) की ओर से लिखित जवाब दिया गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लिखित जवाब में कहा है कि ‘दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण जो विपरीत मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण सर्दियों के दौरान बढ़ जाता है, के प्रमुख स्रोतों में औद्योगिक प्रदूषण, वाहनीय प्रदूषण, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से धूल, सड़क और खुले क्षेत्रों की धूल, बायोमास जलाना, पराली जलाना, नगर पालिका ठोस अपशिष्ट जलाना, सैनिटरी लैंडफिल में आग आदि शामिल हैं।’
मंत्रालय की ओर से जवाब देते हुए यह भी कहा है कि ‘विभिन्न स्रोतों विशेष रूप से पहचाने गए क्षेत्रीय स्रोत जैसे कि वाहनीय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, पराली जलाना और अन्य से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं, जिन्होंने वायु गुणवत्ता में क्रमिक सुधार दिखाया है। इन कार्रवाइयों का वायु गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और वर्ष 2021 में सुधार देखा गया था क्योंकि दिल्ली के लिए सीएएक्यूएमएस डेटा से पता चलता है कि पीएम की वार्षिक सांद्रता वर्ष 2016 से धीरे-धीरे कम हुई है। वाहनों की संख्या में वृद्धि, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि और प्रतिकूल मौसम विज्ञान के बावजूद, वर्ष 2016 के संदर्भ में वर्ष 2021 में दिल्ली में पीएम 10 में 27% और पीएम 2.5 में 22% की कमी देखी गई है।’
वायु गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु सरकार द्वारा उठाए कदम
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) सहित दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर लिखित जवाब में कहा गया है कि एनसीएपी के अन्तर्गत, देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लक्ष्य के साथ दिल्ली सहित मानकों को प्राप्त नहीं करने वाले 132 शहरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में कार्यान्वयन हेतु शहर विशिष्ट वायु कार्य योजनाएं शुरू की गई हैं। इन वार्षिक कार्य योजनाओं में शहर की योजनाओं के अन्तर्गत स्वीकृत कार्यों के सूक्ष्म विवरण के साथ समग्र और वार्षिक लक्ष्य, वित्तीय विवरण, समयसीमाएं और जिम्मेदार एजेंसियां शामिल हैं।
शहर विशिष्ट कार्य योजना के अन्तर्गत गतिविधियों में परिवेशी वायु गुणवत्ता नेटवर्क का सुदृढीकरण, स्रोत संविभाजन अध्ययन, धूल अल्पीकरण उपकरण, कम्पोस्ट इकाईयां, मोटर रहित परिवहन हेतु आधारभूत सुविधाएँ, अव्यवस्थित क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर होना आदि शामिल हैं। शहर विशिष्ट कार्य योजनाओं की नियमित रूप से समितियों अर्थात केन्द्रीय स्तर पर शीर्ष, संचालन समिति, निगरानी और कार्यान्वयन समितियां; राज्य में: संचालन, कार्यान्वयन समिति और शहरी स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी समिति द्वारा निगरानी की जाती है। यह प्रदूषण के बहु-क्षेत्रीय स्रोतों जैसे पॉवर प्लांट, उद्योगों, वाहनों, खुले में अपशिष्ट जलाने, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों, कार्यों और हस्तक्षेप के सम्मिलन हेतु अंतर मंत्रालयी समन्वय और नालिज पार्टनर्स के रूप में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करता है। प्राण, मानकों को प्राप्त नहीं करने वाले शहरों में वायु प्रदूषण के नियमन के लिए एक पोर्टल, शहर की वायु कार्य योजना के कार्यान्वयन की भौतिक के साथ-साथ वित्तीय स्थिति का पता लगाने में सहायता करता है और लोगों में वायु गुणवत्ता संबंधी जानकारी का प्रसार करता है।
वायु प्रदूषण से निपटने पर सरकार खर्च कर रही बड़ी राशि
वायु प्रदूषण पर निपटारे को लेकर सरकार कितने करोड़ की राशि खर्च कर रही है। इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि ‘एनसीएपी के अन्तर्गत, दिल्ली सहित वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 (25 जनवरी, 2023 तक) के दौरान शहरी कार्य योजना के अन्तर्गत कार्रवाईयां शुरू करने के लिए 855.51 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया गया है, जहां शहरी कार्य योजना के अन्तर्गत कार्रवाई शुरू करने के लिए दिल्ली को 33.75 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया गया है। 131 अभिज्ञात शहरों में से दिल्ली सहित वित्त वर्ष 2017-18 के स्तरों की तुलना में वर्ष 2021-22 के दौरान 95 शहरों में पीएम 10 की सान्द्रता में कमी देखी गई है।’
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार करने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रबंधन के लिए सरकार ने कई कदम उठाए गए हैं। वाहनीय उत्सर्जन को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
वाहनीय उत्सर्जन
-एनसीटी दिल्ली में 1 अप्रैल, 2018 से और देश के शेष हिस्सों में 1 अप्रैल, 2020 से बीएस- IV से बीएस-VI ईंधन मानक अपनाना ।
-अप्रैल, 2020 से पूरे देश में बीएस-VI मानकों का अनुपालन करने वाले वाहनों की शुरूआत करना।
– ईंधन की खपत और प्रदूषण कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे और राजमार्गों का विकास। दिल्ली से गैर लक्षित ट्रैफिक मार्ग परिवर्तन के लिए पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेस वे का प्रचालन शुरु किया गया है।
-दिल्ली एनसीआर में 2000 सीसी और उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले डीजल चालित वाहनों पर पर्यावरण सुरक्षा प्रभार (ईपीसी) लागू किया गया है।
-सीएनजी, एलपीजी, पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण जैसे स्वच्छतर / वैकल्पिक ईंधन की शुरूआत करना।
-सड़कों पर भीड़-भाड़ को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और सड़कों में सुधार करना व ज्यादा पुलों का निर्माण करना ।
-जन परिवहन के लिए मेट्रो रेल के नेटवर्क में वृद्धि की गई है और अधिक शहरों को शामिल किया गया है। • दिल्ली और समीपवर्ती क्षेत्रों में 10 वर्ष पुराने डीजल चालित और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर प्रतिबंध | इलेक्ट्रिक वाहनों का त्वरित अंगीकरण और विनिर्माण (फेम) – 2 स्कीम की शुरूआत की गई है।
-इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट आवश्यकता पर छूट दी गई है।
औद्योगिक उत्सर्जन को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदम
-एनसीआर में पेट कोक और फर्नेस ऑयल के उपयोग पर प्रतिबंध, सीमेंट संयंत्रों, चूना भट्ठियों और कैल्शियम कार्बाइड निर्माण इकाईयों में प्रक्रियाओं में पेट कोक का उपयोग।
-कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) के लिए कड़े उत्सर्जन मानक जारी करना । दिल्ली में औद्योगिक इकाइयों का पीएनजी/ स्वच्छतर ईंधन अपनाना ।
-अत्यधिक प्रदूषण उत्पन्न कर रहे उद्योगों में ऑन लाइन सतत निगरानी उपकरणों की संस्थापना ।
– दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण में कमी करने के लिए ईंट भट्टों को मिश्रित प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करना।
धूलकण और कचरे को जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण
-ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट, जैव चिकित्सा अपशिष्ट निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट और खतरनाक अपशिष्ट को शामिल करते हुए 6 अपशिष्ट प्रबंधन नियमों कीअधिसूचना जारी की गई है।
-अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र जैसी अवसंरचनाओं की स्थापना की गयी है ।
-प्लास्टिक और ई-अपशिष्ट प्रबंधन हेतु विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर)
-बायोमास / कचरे के जलाने पर प्रतिबंध लगाई गयी है।
परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिल्ली की दूषित हवा पर है कि ‘राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) जैसे कार्यक्रमों के तहत हस्तचालित स्टेशनों के साथ-साथ सतत निगरानी स्टेशनों का वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क का विस्तार कम लागत के सेंसरों और उपग्रह आधारित निगरानी जैसे वैकल्पिक परिवेशी निगरानी प्रौद्योगिकियों का आकलन करने के लिए प्रायोगिक परियोजनाओं की शुरूआत की गयी है।
एनसीएपी के कार्यान्वयन की निगरानी
– सरकार ने भारत में शहर और क्षेत्रीय पैमाने पर वायु प्रदूषण के स्तरों को कम करने के लिए कार्यों की रूपरेखा तैयार करते हुए राष्ट्रीय स्तर की कार्यनीति के रूप में एनसीएपी को शुरू किया है। 132 एनएसी और एमपीसी में कार्यान्वयन के लिए शहर विशिष्ट वायु कार्य योजनाएं शुरू की गई हैं।
-इन शहरों की गतिविधियों में परिवेशी वायु गुणवत्ता नेटवर्क का सुदृढीकरण, स्रोत संविभाजन अध्ययन, धूल अल्पीकरण उपकरण, कम्पोस्ट इकाईयां, मोटर रहित परिवहन हेतु आधारभूत सुविधाएँ, अव्यवस्थित क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर होना आदि शामिल है।
-एनसीएपी, प्रदूषण के बहु-क्षेत्रीय स्रोतों जैसे पॉवर प्लांट, उद्योगों, वाहनों, खुले में अपशिष्ट जलाने, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों, कार्यों और हस्ताक्षेप के सम्मिलन हेतु अंतर मंत्रालयी समन्वय, और नालिज पार्टनर्स के रूप में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करता है।
-शहर विशिष्ट कार्य योजनाओं की नियमित रूप से समितियों द्वारा निगरानी की जाती है। केन्द्रीय स्तर पर शीर्ष संचालन समिति, निगरानी और कार्यान्वयन समितियां; राज्य में संचालन, कार्यान्वयन समिति और शहरी स्तर पर कार्यान्वयन और निगरानी समिति ।
-दिल्ली, कानपुर और लखनऊ के लिए वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का कार्यान्वयन । यह प्रणाली समय पर कार्रवाई करने के लिए चेतावनी जारी करती है।
-दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दों के संबंध में जन शिकायतें ‘समीर एप्प’, ‘ईमेल’ (Aircomplaints.cpcb@gov.in) और ‘सोशल मीडिया नेटवर्कस्’ (फेसबुक और ट्विटर) के माध्यम से की जाती है।
– एनसीएपी के कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए एक पोर्टल, प्राण की शुरूआत की गई है।
दिल्ली की दमघोटूं हवा पर अन्य कार्रवाइयां
-मंत्रालय ग्रीन गुड डीड के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए नागरिकों के बीच जन भागीदारी और जागरूकता सृजन को बढ़ावा दे रही है जिसमें साइकिल चलाने को बढ़ावा देने, जल और बिजली बचाने, पेड़ लगाने, वाहनों का समुचित रख-रखाव करने, लेन अनुशासन का अनुपालन करने, कार पूलिंग द्वारा सड़कों पर भीड़ कम करने आदि पर बल दिया जाता है।
-स्वच्छतर ईंधन को अपनाना सुनिश्चित करने के लिए उज्जवला योजना का विस्तार ।
-स्वच्छ भारत मिशन और अपशिष्ट प्रबंधन पहलें ।
-एनसीआर और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने औद्योगिक और अन्य अनुप्रयोगों के संबंध में एनसीआर के लिए अनुमोदित ईंधनों की मानक सूची तैयार करने के साथ-साथ एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक नीति तैयार की है।