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दिल्ली (supreme court says try to catch international drug syndicates, not small time peddlers): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपना समय और ऊर्जा छोटे-मोटे तस्करों को पकड़ने की जगह अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को पकड़ने पर ख़र्च करना चाहिए। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने सवाल किया कि अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट चलाने वाले वास्तविक अपराधियों के बारे में राज्य क्या कर रहा है?।
अदालत ने टिप्पणी की, “आप वास्तविक अपराधियों के बारे में क्या कर रहे हैं जो अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट चला रहे हैं? कोशिश करें और उन्हें पकड़ें और फिर लोगों को बचाएं … आप छोटे-मोटे पेडलर्स, किसानों आदि को पकड़ रहे हैं, लेकिन यह असली अपराधी नहीं हैं।”
सुप्रीम कोर्ट कथित रूप से अफीम बरामद होने के बाद नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत दर्ज एक मामले की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी ने जमानत खारिज करने का अनुरोध किया।
अदालत ने कहा कि आरोपी ने पांच साल जेल की सजा काट ली थी, जबकि उसे अधिकतम दस साल की सजा सुनाई जा सकती थी इसलिए व्यक्ति जमानत का हकदार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अफीम किसी कार या ट्रक में नहीं बल्कि आरोपी की कृषि भूमि पर मिली थी। सरकार ने कहा कि आरोपी को पहले भी दो बार दोषी करार दिया जा चुका है इसलिए यह जमानत याचिका खारिज कर देनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने सरकार के अनुरोध को नहीं सुना और आरोपी को जमानत दे दी। केस को साबिर बनाम मध्य प्रदेश राज्य के नाम से जाना गया।
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