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Pakistan Economic Crisis: इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने भारत संग रिश्ते को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बीते दिन एक दावा किया है। जिसमें वह कह रहे हैं कि पाकिस्तान भारत से बैक चैनल के माध्यम से कोई बातचीत नहीं कर रहा है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कल हुई साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि ‘मौजूदा समय में पाकिस्तान और भारत के बीच कोई बैक चैनल नहीं है।’ भारत लगातार ये कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है लेकिन इससे पहले पाकिस्तान को आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाना होगा।
यहीं नहीं प्रवक्ता ने ये भी आरोप लगाए कि, भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं को द्विपक्षीय सिंधु जल संधि का उल्लंघन करते हुए विकसित किया गया था। यह मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत में है। उन्होंने आगे कहा कि ‘पाकिस्तान का मानना है कि इन परियोजनाओं को सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन कर विकसित किया गया था। इसलिए, इन मामलों में पाकिस्तान की ओर से कुशलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया गया है; हमें विश्वास है कि हमारे पास एक ठोस मामला है।’
बता दें कि हाल ही में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद से जुड़े सवाल पर कहा था कि पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसके अपने कार्यों और उसकी पसंद से निर्धारित होता है। उन्होनें कहा कि यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह अपनी आर्थिक परेशानियों से कैसे बाहर निकले। भारत की ओर से श्रीलंका को दी गई मदद का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि श्रीलंका की गंभीर आर्थिक संकट में भारत ने उनकी मदद की, लेकिन भारत और श्रीलंका के बीच संबंध पाकिस्तान से बिल्कुल अलग हैं। उन्होंने आगे कहा था कि, भारत का पाकिस्तान के साथ आज कोई ऐसा संबंध नहीं है कि हम सीधे उस प्रक्रिया (मदद) में शामिल हो सकें। यह हमारे पड़ोसी देश पर निर्भर है कि वे इससे उबरने के लिए कोई रास्ता निकालें।
मालूम हो पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से वहां की सरकार जरूर वस्तुओं का आयात (Import) करने में सक्षम नहीं है। जिस कारण आटे से लेकर चावल और तेल की कीमत आसमान छूने लायक बढ़ गई हैं। राजकोषीय संकट की वजह से पाकिस्तान कर्ज के जाल में फंस चुका है। आर्थिक संकट पर काबू पाने के लिए वहां की सरकार ने पिछले साल जून में गैस की कीमत और बिजली की दरों में इजाफा किया था। इसके अलावा जनता पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ भी डाल दिया था।
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