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Kerala Water Polluted: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास त्रिक्कन्नपुरम की रहने वाली अनीता कुमारी यह सुनिश्चित करती हैं कि उनके परिवार के सदस्य उबला हुआ पानी पिएं, भले ही यह पानी सीधे उनके घर के आंगन में स्थित कुएं से लिया गया हो। करीब 26 साल पहले जब कुआं खोदा गया था, तब अनीता का परिवार और उसके आस-पड़ोस के लोग बिना उबाले पानी पीते थे।
अनीता ने कहा कि पहले हम इस कुएं से बहुत साफ पानी लिया करते थे। अब, हमारे चारों ओर प्रदूषण है और पानी दूषित है। इसलिए हमने पानी उबालकर पीने का फैसला किया। केरल जल प्राधिकरण (केडब्ल्यूए) के अधिकारियों ने विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए राज्य के जल संसाधनों के प्रदूषण के स्तर को लेकर अनीता कुमारी की बातों से सहमति जताई। अधिकारियों के अनुसार, 44 नदियों और हजारों झीलों के साथ अपने प्रचुर भूजल के लिए जाना जाने वाला केरल गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक कुएं, जिन पर अधिकांश लोग पीने के पानी के लिए निर्भर हैं और 90 प्रतिशत से अधिक नदियां ‘एस्चेरिशिया कोलाई’ (ई. कोलाई) जीवाणु से दूषित हैं। अधिकारी तेजी से बढ़ते शहरीकरण को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
भूजल विभाग के निदेशक जॉन वी. सैमुअल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारे लोग अभी भी अपने जल संसाधनों को प्रदूषण से मुक्त रखने के महत्व से अनभिज्ञ हैं। केरल में हमारे पास भूजल की कमी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है हालांकि, प्रदूषण एक बड़ी चिंता है।’’
सेंटर फॉर वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट (सीडब्ल्यूआरडीएम) के अलग अलग काल में किए गए शोध में राज्य के विभिन्न जल स्रोतों के पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इस बैक्टीरिया की वजह से पेट में मरोड़, अतिसार, उल्टी की शिकायत होती है।
अधिकारियों ने बताया कि लोगों को कुओं और नदियों का पानी उबाल कर ही पीने की सलाह दी गई है। सीडब्ल्यूआरडीएम के 2019 में किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में दावा किया गया कि विभिन्न प्रदूषकों और अन्य कारकों की वजह से जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। केरल में खुले हुए कुओं में बैक्टीरिया के संदूषण की समस्या है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर कुओं में साफ सफाई संबंधी सुविधाओं के अभाव की वजह से गंदगी है। आईएएस अधिकारी और केरल के भूजल विभाग के निदेशक जॉन वी सैमुअल ने बताया ‘‘हमारे लोग अब तक जल स्रोतों को प्रदूषण मुक्त रखने के महत्व से अनभिज्ञ हैं। केरल में भूजल स्तर के नीचे जाने की समस्या नहीं है लेकिन प्रदूषण सबसे बड़ी चिंता है।’’
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