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India news (इंडिया न्यूज), Token exchange system to prevent the situation used to be more likely to collid: देश में ज्यादातर लोग अपना सफर ट्रेन से ही करते हैं। जिसके दौरान ट्रेन संबंधित कई नियम भी रहते हैं, जो हमारी आंखों के सामने होता है और हमें उसके बारे में पता नहीं होता है। अक्सर हम देखते हैं कि, ट्रेन जब स्टेशन पर पहुंचती है तो, एक रेलवे कर्मचारी प्लेटफार्म पर खड़ा होकर ट्रेन ड्राइवर को एक लोहे की रिंग सौपता है। बता दें कि यह एक टोकन एक्सचेंज सिस्टम होता है। यह अब धीरे-धीरे खत्म होते जा रहा है। लेकिन अभी भी देश के कई जगहों पर इसे देखा जाता है। तो चलिए जानते हैं स्टेरिंग से जुड़ी कुछ खास बातें।
कुछ सालों पहले आज इतने एडवांस टेक्नोलॉजी नहीं थी। पर उस समय सिर्फ सिंगल ट्रैक हुआ करते थे। जिस पर दोनों तरफ से आने जाने वाली गाड़ियां एक ही ट्रैक पर चलती थी। जिससे अक्सर ट्रेनों के टक्कर की संभावना ज्यादा हुआ करती थी। इसी स्थिति को रोकने के लिए टोकन एक्सचेंज सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता था।
टोकन यानी स्टील की रिंग होती थे। जिसे ट्रेन के स्टेशन मास्टर लोको पायलट को देता है ड्राइवर को यह टोकन मिलने के बाद यह साफ हो जाता था की अगले स्टेशन तक ट्रैक साफ है और वह आगे बढ़ सकता है। और अगले स्टेशन तक पहुंचने के बाद लोको पायलट उस टोकन वहां जमा कर देता है और वहां से दूसरा टोकन लेकर आगे बढ़ता है। सिंगल लाइन के लिए आमतौर पर एक टोकन प्रणाली का उपयोग किया जाता है ।
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