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Jammu And Kashmir घाटी में टारगेट किलिंग को रोकना होगा

India News Editor • LAST UPDATED : October 17, 2021, 9:59 am IST
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Jammu And Kashmir घाटी में टारगेट किलिंग को रोकना होगा

Target killing in Jammu and Kashmir Valley has to be stopped

Target killing in Jammu and Kashmir Valley has to be stopped

योगेश कुमार सोनी, जम्मू कश्मीर

Jammu and Kashmir : एक बार फिर आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में खूनी खेल शुरु कर दिया। इस बार आतंकियों ने दहशत फैलाने के लिए सुरक्षा बलों और प्रवासी मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार दो अक्टूबर से लेकर अब तक तीन बडे हमले के दौरान सात लोगों व नौ जवानों की जान चली गई। आतंकियों ने संदेश दिया है कि ‘हमारे निशाने पर केवल गैर-कश्मीरी,गैर मुस्लिम,कश्मीरी पंडित,प्रवासी मजदूर और सुरक्षा बल है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां रह रहे मुसलमानों को हम कोई नुकसान नही पहुंचाएगें।‘ बीते शनिवार बिहार के रहने वाले अरविंद कुमार साह को गोली मार दी। अरविंद बीते कई वर्षों से गोलगप्पे बेचते थे। आतंकियों ने पहले अरविंद से उनका नाम पूछा उसके बाद तुरंत गोली मार दी।हालांकि दो अक्टूबर से अब तक सुरक्षाबलों ने 13 आतंकियों को भी मौत के घाट उतार दिया।

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Jammu and Kashmir : सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली जिसमें पुलवामा के पंपोर इलाके में लश्कर कमांडर उमर मुश्ताक खांडे व दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। इस वर्ष सुरक्षा बलों एक सूची जारी की थी जिसमें खांडे का नाम शीर्ष दस आतंकवादियों में शामिल था।मीडिया से मुखातिब होते हुए एनएसजी के महानिदेशक एमए गणपति ने बताया कि ‘संघीय आतंकवाद रोधी और हाइजैक रोधी कमांडो बल अब आतंकवाद रोधी अपनी क्षमता में और इजाफा कर रहा है। बल नई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की तैयारियों में जुट गया है। सुरक्षा बलों की संख्या से आतंकवाद पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

Jammu and Kashmir : दरअसल धारा 370 हटने के बाद ऐसी स्थिति पहली बार बनी है।‘ दरअसल जम्मू-कश्मीर से लगातार अच्छी खबरें लगी थी जो देश में बैठे कुछ गद्दारों व पाकिस्तान को बर्दाश्त नही हो रही थी। दरअसल कुछ समय पहले भारतीय सेना ने बताया कि अब आतंकियों को कश्मीर के लोगों को समर्थन नही मिल रहा है। पिछले कुछ समय से यहां के युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वाइन नही किया बल्कि इसके विपरीत सेना में भर्ती होने के लिए अपना पंजीकरण करा रहे है। इस आधार पर यह तय हो जाता है कि यहां के नागरिक अब शांति व खुशहाली से जीवन जीना चाहते हैं। सेना के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया था कि आतंकवादी इन इलाकों में सिर्फ सनसनी बनाए रखना चाहते हैं। हमेशा से पाकिस्तान का गुणगान करने वाले अलगाववादी नेता इस तरह का प्रोपेगेंडा चलाते हैं जिससे यहां वो आतंकवाद के नाम पर अपनी रोजी-रोटी चलाते रहें लेकिन स्थानीय लोगों ने समर्थन देना बंद कर दिया जिससे आतंकवाद की कमर टूट गई थी।

इस वर्ष सेना में अगामी भर्ती के लिए दस हजार युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। पिछले वर्ष यह पांच हजार के लगभग था और उससे पहले बहुत ही कम होता था। लगातार बढ़ रहे आंकड़ों से सबसे ज्यादा झटका उनको लगा है जो यहां लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करके जहर की खेती कर रहे थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से ही यह बदलाव की ब्यार बड़े स्तर पर देखने का मिल रही थी। विगत दिनों धारा 370 हटी तो यहां के लोगों ने और ज्यादा आजादी महसूस की जिससे इनको इस बात की प्रमाणिकता मिल गई अब यहां के हाल बिल्कुल गए बदल गए जिससे आतंकियों की कमर पूरी तरह टूट गई। इस बात की जानकारी बहुत ही कम लोगों के पास होगी कि अलगावादियों की सुरक्षा व अन्य जीवन प्रक्रिया पर करोड़ो रुपया खर्च होता था।

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Jammu and Kashmir :  2016 मे केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट मे बताया गया था कि 2009 से 2014 तक अलगाववादियों को सुरक्षित स्थलों पर ठहरवाने,देश-विदेश की यात्राएं करवाने व स्वास्थय सेवाएं उपलब्ध कराने के अलावा भी कई प्रकार की सुविधाएं भी प्रदान की जाती थी जिसका 5 साल मे 560 करोड़ रुपये का खर्चा आया था। इस हिसाब से सालाना 112 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इतने बजट से किसी अन्य बडी योजना को अंजाम दिया जा सकता था जिससे देश का भला होता । कांग्रेस सरकार में देश के इन गद्दारों को इतनी सुविधाएं मिलती थी मानों यह देश कोई मुख्य सिपलेसहार हों । उनकी निजी सुरक्षा मे लगभग 500 व उनके आवास पर 1000 जवान तैनात रहते थे। जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में 670 अलगाववादियों को विशेष सुरक्षा प्रदान की गई थी। जबकि इन नेताओं का काम सिर्फ पाकिस्तान पक्ष की बातें करना या उनकी चमचागिरी करना था। बंटवारे से लेकर अब तक हिन्दुस्तान इस दुर्भाग्य से जूझ रहा था लेकिन जब से मोदी सरकार ऐसी घटनाओं को लेकर एक्शन में आई है तब से सब पूरी तरह बदल गया। जम्मू-कश्मीर में जवान होते है लड़कियों को बुर्का और लड़कों के हाथ में पत्थर पकड़ा दिया जाता था। कुछ युवाओं को धर्म के नाम भडका कर उनको आतंकी बना दिया जाता था तो कुछ इन लोगों के डर की वजह से इनके आगे घुटने टेक देते थे। यदि वो विरोध भी करते थे तो शासन-प्रशासन कुछ भी नही कर पाता था। दिहाडी वाले पत्थरबाजों को कतई भी एहसास नही था कि जितने भी अलगाववादी व हुर्रियत नेता है वो आलीशान कोठियों मे रहते हैं व इनके बच्चे देश-विदेश की सबसे महंगी व अच्छी जगहों पर पढ़ते है। लेकिन अब यहां की जनता को सारा खेल समझ आ चुका । धर्म के नाम पर कट्टरता फैलाने का खेल अब नही चल रहा। हर चीज का अति बुरी होती है और उसका अंत भी होता है और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को लेकर ऐसा ही हो रहा है। आज हर कोई बदलते दुनिया में बदलाव चाहता है स्पष्ट है कि जो समय के साथ नही चलता वो पीछे रह जाता है। पिछली सरकारों ने सिस्टम को ऐसा बनाया हुआ था जम्मू-कश्मीर की जनता उस मानसिकता से बाहर ही नही आ रही थी। यहां की आवाम की सोच को कभी उभरने का मौका ही नही दिया चूंकि नेताओं के साथ दुनिया ने भी यह मान लिया था कि यहां से धारा 370 व 35ए कभी नही हट सकती। जिस वजह से यहां की आवाम में इतनी दहशत थी कि आतंकी के सामने झुकने के सिवा कोई अन्य विकल्प नही है। जब भी कोई बात होती थी तो कहा जाता था कि यहां की जनता नही चाहती कि वो हिन्दुस्तान का हिस्सा बनें वो पाकिस्तान जाना चाहती हैं लेकिन मोदी सरकार के शिकंजे और नीतियों के कारण अब तो जितने भी गद्दार नेता हैं भी अपने आप को देशभक्त बताने में लगे हुए हैं। पिछले कुछ समय से यहां के युवाओं ने कई क्षेत्रों में नाम रोशन किया है। ऐसे बच्चों का केन्द्र सरकार भी भरपूर सहयोग कर रही है। दरअसल आतंकवादियों ने कभी यह सोचा भी नही था कि उनकी जम्मू-कश्मीर में उनकी दुकानदारी एकदम बंद हो जाएगी लेकिन बीते दिनों में जो भी हो रहा है उस पर केन्द्र सरकार को एक बड़े एक्शन ऑफ प्लॉन की जरूरत है चूंकि अब लोगों को जम्मू-कश्मीर की बदली तस्वीर भाने लगी है।

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