The team led by Indian scientist Sarita Krishna did wonders
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भारतीय वैज्ञानिक सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल ने किया कमाल, ब्रेन कैंसर के रोगियों के लिए मददगार हो सकती है यह नया अविष्कार

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : May 19, 2023, 7:16 pm IST
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भारतीय वैज्ञानिक सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल ने किया कमाल, ब्रेन कैंसर के रोगियों के लिए मददगार हो सकती है यह नया अविष्कार

इंडिया न्यूज़ (इंडिया न्यूज़)Saritha Krishna : कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन फ्रांसिस्को मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि कैंसर कोशिकाएं मस्तिष्क की स्वस्थ कोशिकाओं के संपर्क में आकर अति सक्रिय हो जाती है। जिसकी वजह से मरीज को तेजी से संज्ञानात्मक नुकसान होता है। इस नुकसान के बारे में बात आकर तो कभी-कभी तो मरीज की मौत भी हो जाती है। हालांकि, भारतीय वैज्ञानिक सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल ने किया कमाल कर दिखाया है जिससे कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर के इलाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।

ब्रेन कैंसर के रोगियों के लिए मददगार हो सकती है यह नई खोज

भारतीय वैज्ञानिक सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल ने यह भी पता लगाया कि मस्तिष्क से जुड़े विकार के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा ट्यूमर कोशिकाओं की अति सक्रियता को कम करने और उनकी वृद्धि को रोकने में भी प्रभावी है। मालूम हो, सरिता कृष्णा की अगुवाई वाले दल यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। इसमें वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि मस्तिष्क की स्वस्थ कोशिकाओं और कैंसरयुक्त कोशिकाओं के बीच संपर्क को ट्यूमर की वृद्धि रोकने तथा उसे कम करने के लिए बदला जा सकता है। साथ ही वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ये नतीजे ग्लियोब्लास्टोमा से पीड़ित मरीजों के लिए अधिक फायदेमंद है जिसे वयस्कों में होने वाले ब्रेन कैंसर का सबसे घातक प्रकार माना जाता है।

केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली है सरिता कृष्णा

बता दें,केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली कृष्णा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि ये अप्रत्याशित नतीजे दिखाते हैं कि जानलेवा कैंसर कोशिकाएं मस्तिष्क के आसपास के ऊतकों की संरचना में ऐसा बदलाव कर सकती हैं, जिससे वे अति सक्रिय हो जाते हैं। इससे मरीज को संज्ञानात्मक नुकसान होता है और उसका जीवनकाल भी घट जाता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा कि यह खोज ग्लियोब्लास्टोमा जैसी बहुत ही घातक बीमारी के लिए इलाज की प्रभावी पद्धति खोजने में मददगार हो सकती है।

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