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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
केरल में निपाह वायरस का गंभीर असर देखा जा रहा है। कोझिकोड से कुछ दूरी पर स्थित मावूर में 12 साल के बच्चे की निपाह वायरस के संक्रमण से मौत हो गई। इसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने शहर में और आस-पास के इलाकों में इस घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने वायरस का प्रकोप फैलने की किसी भी आशंका को देखते हुए विशेष निपाह वार्ड शुरू किया है। जिस अस्पताल में बच्चे का एक सितंबर से इलाज चल रहा था, वह सतर्क हो गया है और वहां स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है। मावूर के पास ओमासरी में स्थानीय अस्पताल के कर्मचारियों को भी सतर्क कर दिया गया है। बच्चे को अगस्त में बुखार होने के बाद पहली बार मेडिकल जांच के लिए वहीं ले जाया गया था। मावूर में स्वास्थ्य अलर्ट घोषित कर दिया है और बच्चे के घर से करीब तीन किलोमीर दूर तक के इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।
-कफ के साथ लगातार बुखार आना और सांस लेने में तकलीफ
-सांस की नली में खतरनाक संक्रमण
-बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उलटी, गले में खराश, थकान, नींद की समस्या
खतरनाक केस में मरीज को निमोनिया के लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण बीमार होने के 24 से 48 घंटे बाद दिख सकते हैं। निपाह वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 5-14 दिन से लेकर 45 दिन का हो सकता है।
इसकी जांच भी कोरोना वायरस की तरह ही होती है। यानी कोरोना में जैसे रियल टाइम पॉलिमरेज चेन रिएक्शन या आरटीपीसीआर टेस्ट होता है, वैसे ही निपाह वायरस के लिए यही टेस्ट किया जाता है। इसके लिए खून के नमूने लिए जाते हैं या शरीर के अन्य फ्लूइड से भी जांच हो सकती है, जैसे बलगम आदि से। इसमें एंटीबॉडी टेस्ट के लिए एलिजा भी किया जाता है।
संक्रमित सूअर, चमगादड़ या संक्रमित इंसानों से भी फैल सकता है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की गाइडलाइंस में बताया गया है कि अगर चमगादड़ ने किसी फल को संक्रमित किया है और उसे खाया जाता है तो निपाह फैल सकता है। इसके लिए फल लदे पेड़-पौधों से बचने की सलाह दी गई है। खजूर के फल या ताड़ी से बचने की सलाह दी गई है। अगर निपाह से किसी की मौत होती है तो उसका मृत शरीर भी संक्रमण फैला सकात है। इसे देखते हुए मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार में भी एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है।
-साबुन और पानी से हमेशा हाथ धोते रहें
-कच्चे खजूर के फल खाने और उसके रस को पीने से बचें
-फल खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें
-बीमार पशुओं या जानवरों को संभालते हैं तो हाथ में दस्ताने और फेस मास्क लगाकर ही ऐसे काम करें
निपाह वायरस के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी। निपाह वायरस से अगर सांस की बीमारी या अन्य परेशानी होती है तो सपोर्टिव ट्रीटमेंट दे सकते हैं। इस बीमारी में तंत्रिका तंत्र पर बड़ा असर देखा जाता है, इसलिए इससे जुड़े लक्षणों की पहचान और इलाज जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह के कुछ मरीजों में इनसेफ्लाइटिंस के लक्षण दिख सकते हैं जिसका समय पर इलाज जरूरी है।
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