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Bacterial Disease शरीर की प्रतिरक्षी कोशिकाएं यानी इम्यून सेल्स रोगों, खासकर संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। अब एक स्टडी में इसकी नई मेथडोलॉजी सामने आई है। इसमें बताया गया है कि हमारे इम्यून सिस्टम के सेल्स मकड़ी की तरह बैक्टीरिया को शिकार के रूप में जाल में फंसाते हैं और फिर उसे निगल जाते हैं। यह अध्ययन वंडरबिल्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के रिसर्चर्स ने किया है।
साइंस एडवांसेज में प्रकाशित इस स्टडी में ऐसी एंटीबैक्टीरियल मैकेनिज्म की जानकारी होने से जर्म्स के इलाज का नया तरीका मिल सकता है। अभी तक यह पता था कि न्यूट्रोफिल्स- पहला रिस्पांडर इम्यून सेल होता है, जो संक्रमण स्थल पर पहुंचकर खुद को विघटित कर अपने प्रोटीन तथा डीएनए कंटेंट का स्राव करता है, जो न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रा सेल्यूलर ट्रैप पैदा करता है।
(Bacterial Disease)
लेकिन अब वंडरबिल्ट के एंड्रयू मोटैथ के नेतृत्व में किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रा सेल्यूलर ट्रैप अन्य प्रकार के इम्यून सेल मेक्रोफेगस की भी बैक्टीरिया मारने की क्षमता बढ़ाता है। एक अन्य रिसर्चर एरिस स्कार के अनुसार, न्यूट्रोफिल्स बैक्टीरिया को फांसने के लिए मकड़ी की तरह जाल बनाता है और फिर मैक्रोपेस उस बैक्टीरिया को निगल जाता है।
ये दोनों ही सेल्स बैक्टीरिया को निगलकर एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स तथा संक्रमण से लड़ने के लिए एंजाइम बनाते हैं। इस तरह न्यूट्रोफिल एक्स्ट्रा सेल्यूलर ट्रैप का बनना, बैक्टीरिया को मारने का एक नियोजित तरीका है।
एक अन्य खबर के मुताबिक, अमेरिका के सेंट लुइस की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में बताया गया है कि बैक्टीरिया अपने अनुभवों से सीख कर भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं। कंप्यूटर सिमुलेशन और सरल सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग कर मिखाइल तिखोनोव और उनके साथियों ने ईलाइफ में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि बैक्टीरिया कैसे यह सब कर सकते हैं। शोध में दर्शाया गया है कि बैक्टीरिया खुद को बदलते हुए वातावरण में ढाल सकते हैं।
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