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India News (इंडिया न्यूज़), Ashish Sinha, Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार एक स्कूल शिक्षक की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती है कि याचिकाकर्ता (शिक्षक) और पीड़िता (छात्र) शिक्षक और छात्र के रूप में बातचीत कर रहे थे। इंडिया कथित रिपोर्टर अशीष सिन्हा के अनुसरा कोर्ट ने कहा कि कथित अपराध परीक्षण के दौरान साबित हो जाता है तो यह एक गंभीर मामला है।
शिक्षिक पर IPC की धारा 376(2)(f) और POCSO अधिनियम की धारा 5(f) के तहत मामला दर्ज किया गया है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा, अदालत याचिकाकर्ता की जमानत याचिका खारिज करती है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को रिकॉर्ड पर लिया कि अभियोजन पक्ष ने सीसीटीवी फुटेज भी एकत्र किए हैं।
फुटेज में याचिकाकर्ता और पीड़िता को एक निश्चित होटल में एक साथ एक कमरे में प्रवेश करते हुए दिखाया गया है। इस बात का कोई कारण नहीं है की हम सीसीटीवी के फुटेज पर विश्वास नहीं करे। कोर्ट ने पूछा की याचिकाकर्ता और अभियोजिका एक साथ एक होटल के कमरे में क्यों गए और किसके इशारे पर?।
पीड़ित पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील दलाल ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र अप्रैल 2021 में पीड़ित लड़की के उम्र से दोगुनी से अधिक थी और उसकी एक बेटी थी उससे कम उम्र की है। शिक्षक होने के नाते पीड़िता ने उसपर भरोसा किया इसलिए मामला आईपीसी की धारा 376 (2) (एफ) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 (एफ) के दायरे में आता है।
वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि कथित अपराध बहुत गंभीर है और POCSO के तहत अपराध 20 साल की न्यूनतम कारावास की सजा देता है और आरोप तय होने से पहले ऐसे अभियुक्तों को जमानत देना POCSO अधिनियम के उद्देश्य को विफल कर देगा। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक, अधिवक्ता अमित साहनी ने भी प्रस्तुत किया कि चार्जशीट में, एफएसएल रिपोर्ट से पता चला है कि याचिकाकर्ता का डीएनए पीड़िता के वल्वल स्वैब और अंडरवियर पर पाए गए डीएनए से मेल खाता है।
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