India News (इंडिया न्यूज़), Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 3 जुलाई को एक ऐसी याचिका पर सुनवाई करने मना कर दिया। जिसमें पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग (National Commission) की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता हर मामले में अलग परिस्थितियां होती हैं यह विषय ऐसा नहीं है जिसमें कानून में कोई व्यवस्था ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की है। याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि 2021 में आत्महत्या करने वाले पुरुषों में पारिवारिक समस्याओं के कारण तकरीबन 33.2 फीसदी और विवाह संबंधी वजहों के चलते 4.8 प्रतिशत ने अपना जीवन खत्म कर लिया था। याचिका में विवाहित पुरुषों की ओर से आत्महत्या के मुद्दे से निपटने और घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।
अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी ने यह याचिका दायर की थी याचिका में कहा गया कि शादीशुदा मर्दो में आत्महत्या करने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का आंकड़ा जारी किया गया है। याचिका में ये भी मांग की गई थी कि पुरुषों की समस्याओं को समझने और उनके हल के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
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