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India News (इंडिया न्यूज़), Sawan 2023: आज से सावन का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है। देवों के देव महादेव को ये महीना अति प्रिय है। शिव जिन्हें योग के परंपरा का पहला प्रतिक माना जाता है और जिन्हें आदियोगी नाम से भी जाने जाता है। हिंदू धर्म में भगवान और योग के पहले गुरु होने के नाते उनके भक्त दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद है। मान्यता है कि हर शिवलिंग जैसे आकृति वाले पिंड में शिव वास करते है, पंरतु वो आकृति किसी पवित्र स्थान में होने चाहिए।
भारत में शिव के अनेकों मंदिर है। इनमें कई मंदिर ज्योतिलिंग के रुप में स्थापित हैं। भगवान शिव के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त मंदिरों में जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि भारत के अलावा शिव के प्रसिद्ध और प्राचिन मंदिर दुनिया के अन्य बड़े-बड़े देशों में हैं। आज हम आपको इन्हीं मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का नाम मुक्ति गुप्तेश्वर है। इस मंदिर का संबंध 13वें ज्योतिर्लिंग से है। इस मंदिर में सावन के महीने में बड़ी रौनक देखने को मिलती है। मान्यता है कि इस मंदिर में पहुंचने बाद भक्त की यात्रा जरूर पूर्ण होती है।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित भगनाव शिव के मंदिर में एक प्रसिद्ध प्रतिमा है, जिसकी वजह से ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा इस मंदिर का संबध त्रेता युग के महाभारत से है। इस मंदिर में महादेव के दर्शन करने हजारों की संख्या में देश विदेश से लोग आते हैं। पशुपतिनाथ मान से प्रसिद्ध इस मंदिर में लोग न सिर्फ शिव के दर्शन बल्कि अपनी खूबसूरती के लिए भी आते हैं।
श्रीलंका में स्थित मुन्नेस्वरम मंदिर का संबंध रामायण से हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम ने रावण पर जीत हासिल करने के बाद इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की थी। ये मंदिर काफी प्राचिन लगता है। इस मंदिर में दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
इंडोनेशिया में हिंदू धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं, इस वजह से यहां कई मंदिर भी हैं। इंडोनेशिया के जावा में भगवान शिव का प्रमबनन मंदिर है। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में पहचाने जाने वाला ये मंदिर काफी विशाल है। रोचक बात है कि इसमें करीब 240 मंदिर मौजूद हैं।
पाकिस्तान स्थित शिव मंदिर का इतिहास 900 साल पुराना है। इतिहास में भगवान शिव, माता सति और पांडवों से जूड़े इस मंदिर को काफी पवित्र माना जाता है। कहते हैं कि मां सति ने खुद को अग्नि को समर्पित किया था उस दौरान भगवान शिव के कुछ आंसू यहां गिरे थे, जिसके चलते यहां अमृत कुण्ड सरोवर बन गया था। शिवरात्रि और सावन के दौरान इस मंदिर में बड़ी रौनक दिखाई देती हैं।
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