India News (इंडिया न्यूज़), Panchajanya Shankh: शंख हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक साधना और पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है। किसी भी शुभ कार्य के प्रांरभ और अंत में शंखनाद किया जाता है। शंख को शंखमानि या शंखा नाम से भी जाना जाता है। शंख की पूजा, विष्णु की उपासना, संकट मोचन और शुभ कार्यों के अवसरों पर की जाती है। धार्मिक आयोजनों में शंख बजाना और इसका उपयोग पूजा, आरती, संगीत और ध्यान के साथ किया जाता है । शंख की सुरीली आवाज से ध्यान लगाने का अद्वितीय अनुभव होता है और इसे शुभता और शांति का प्रतीक माना जाता है।
शंख को विष्णु और उसके अवतारों के प्रतीक के रूप में मान्यता है। शंख को अगर उल्टा करके बजाया जाए, तो वह विष्णु के अवतार के अंत और प्रलय की सूचना के रूप में मान्यता प्राप्त करता है। भगवान विष्णु के शंख का नाम ‘पंचजन्य’ है। यह शंख विष्णु भगवान के हाथ में पाया जाता है और उनके पूजा और ध्यान के साथ जुड़ा हुआ है।
पंचजन्य शंख की विशेषताएं
ध्वनि: पंचजन्य शंख की ध्वनि अत्यंत मधुर और प्रफुल्लित होती है। इसकी ध्वनि को सुनने से शांति और सुख की अनुभूति होती है।
महत्त्व: पंचजन्य शंख को हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे यज्ञ, पूजा, और अनुष्ठानों के समय बजाने का प्रयोग किया जाता है।
सात्विकता: पंचजन्य शंख को सात्विक आहार की प्रतीकता माना जाता है। इसे द्वारा यज्ञों में अग्नि को जलाया जाता है और सत्कर्मों की स्मृति कराई जाती है।
पूजा का हिस्सा: पंचजन्य शंख को विष्णु भगवान की पूजा में एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है। यह पूजा के अवसर पर बजाया जाता है और इसकी ध्वनि से विष्णु भगवान को समर्पित भक्ति का संकेत माना जाता है।
ध्यान का साधना: पंचजन्य शंख को योगियों द्वारा ध्यान के साधना में उपयोग किया जाता है। इसकी ध्वनि को सुनकर ध्यान का स्थिरता और शांति प्राप्त की जा सकती है।
अध्ययन और स्मरण: ब्रह्मचारी और विद्यार्थी शंख को धारण करके अध्ययन करते हैं ताकि उनकी बुद्धि और स्मृति में सुधार हो सके।
शुभारंभ के लिए: पंचजन्य शंख को शुभारंभ के अवसर पर बजाया जाता है, जैसे विवाह, पूजा, यज्ञ आदि। इससे सभी को शुभकामनाएं दी जाती हैं और समारोह का आगमन सूचित होता है।
रक्षा की शक्ति: पंचजन्य शंख को भगवान विष्णु की रक्षा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह शंख उनके आदेशों के अनुसार बजाया जाता है और श्रद्धालुओं को उनकी सुरक्षा और सहायता प्रदान करने की उपेक्षा नहीं करता है।
शुद्धता और पवित्रता: पंचजन्य शंख को पवित्र माना जाता है और इसे प्राकृतिक रूप से पवित्रता की प्रतीकता माना जाता है। इसका ध्यान करने और इसे छूने से शुद्धता की अनुभूति होती है।
वाहन: पंचजन्य शंख को गणेश भगवान के वाहन मूषक (मूषिक) के रूप में जाना जाता है।
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