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India News(इंडिया न्यूज),NATO summit: रूस और यूक्रेन के युद्ध में नाटों का शुरुआत से हीं अहम योगदान रहा है। जिसके के बाद सोमवार को नाटो सदस्यों के बीच इस बात को लेकर एक योजना पर सहमति बनी है कि, रूस के हमले का अब किस प्रकार से जवाब दिया जएगा। बता दें कि, इस बैठक की जानकारी देते हुए पांच राजनयिकों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, इस योजना पर सभी सदस्यों ने व्यापक चर्चा की। नाटो के सदस्य देशों ने शीर्ष नेताओं की शिखर बैठक से एक दिन पहले तुर्किये की बाधा को पार करते यह उपलब्धि हासिल की।
नाटों के बैठक में नई योजना पर सहमति की जानकारी देते हुए एक राजनयिक ने कहा कि, ये शानदार है, इसके बाद उन्होंने कहा कि, तुर्किये को झुकना पड़ा। नाटो के शीर्ष नेता 11 और 12 जुलाई को विलनियस में स्वीडन की नाटो सदस्यता व यूक्रेन मामले में संगठन की भविष्य की योजनाओं पर विचार करने के लिए शिखर बैठक करने वाले हैं।
वहीं आपको ये भी बता दें कि, इससे पहले नाटो को दशकों तक बड़े पैमाने पर रक्षा योजनाओं की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी थी, क्योंकि उसने अफगानिस्तान और इराक में छोटे युद्ध लड़े थे और यह महसूस किया गया था कि सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस अब नाटो सहयोगियों के अस्तित्व के लिए कोई खतरा नहीं है। लेकिन 1945 के बाद पहली बार यूरोप की सीमा पर यूक्रेन में जारी खूनी संघर्ष इन देशों को यह चेतावनी दे रहा है कि मॉस्को जैसे विरोधी के साथ किसी भी संघर्ष की स्थिति में उनके पास सभी योजनाएं होनी चाहिए। लेकिन नाटो का सदस्य तुर्किये साइप्रस जैसे स्थानों पर नाटो की क्षेत्रीय योजनाओं को मंजूरी देने में अड़ंगा डाल रहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार नाटो देशों के प्रमुख आज से विनियस में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन (NATO summit) में जुटेंगे। जिस दौरान स्वीडन की सदस्यता और यूक्रेन के साथ नाटो के भविष्य के संबंधों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही नाटो देश अपनी क्षेत्रीय योजनाओं की रूपरेखा तैयार करेंगे, जिसमें सेना और रसद को उन्नत करने के बारे में मार्गदर्शन भी शामिल होगा।
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