संबंधित खबरें
Donald Trump का क्रूर चेहरा, इस छोटे से देश को कुचलने का प्लान हुआ लीक? टैक्स की आड़ में चल रहा बड़ा खेल
आसमान से बरसने लगी 'चमकीली मौत', मातम में बदल गई खुशियां, वीडियो में दिख गया कलियुगी मशीनों का काला सच
इस देश पर खुली थी कुदरत की तीसरी आंख, बिछ गईं 8 लाख लाशें…धरती के सबसे भयानक दिन पर आखिर हुआ क्या था?
ट्रेन में सो रहा था यात्री और तभी…शख्स ने पार कर दी हैवानियत की सारी हदें, तस्वीरें और वीडियो देख दहल जाएगा कलेजा
क्या आने वाले समय राष्ट्रपति बनेंगे एलन मस्क? इस सवाल का ट्रंप ने दिया ऐसा जवाब, हिल गए बाकी देश
खाड़ी देशों में बढ़ेगा भारत का रुतबा, कुवैत के साथ हुए कई अहम समझौते, रक्षा के साथ इस क्षेत्र में साथ काम करेंगे दोनों देश
India News,(इंडिया न्यूज),Thailand: थाईलैंड (Thailand) के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री प्रयुत ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। बता दें कि, यह घोषणा थाईलैंड की संसद के लिए मई में होने वाले चुनाव के मद्देनजर नए प्रधानमंत्री का चुनाव कराने से दो दिन पहले की गई है। आपको ये भी बता दें कि, थाईलैंड के ज्यादातर नागरिकों ने सरकार के लिए सैन्य समर्थन को खारिज कर दिया था।वहीं ये भी जानकारी सामने आ रही है कि, संन्यास की घोषणा के बाद भी प्रयुत-चान-ओचा नई सरकार के गठन तक थाईलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में बने रहेंगे।
बता दें कि, 2014 में मौजूदा सरकार का तख्तपलट करने के बाद सेना प्रमुख बने प्रयुत। जिसके बाद प्रयुथ अपने 69 वर्ष की आयु में थाईलैंड के प्रधानमंत्री बने थे। वहीं CNN के द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार, प्रयुत की पार्टी के गठबंधन ने 2019 के चुनाव में सबसे अधिक सीटें हासिल की थी। इसके बाद सीनेट के समर्थन में उन्हें नेता चुना गया था। वहीं तख्तापलट के बाद से थाईलैंड पर हावी रहे सेना समर्थित अभिजात वर्ग को मई के आम चुनाव में मतदाताओं से जोरदार झटका मिला था, जिससे देश को चलाने के रूढ़िवादी गुटों पर वर्षों से बढ़ती नाराजगी खत्म हो गई।
बता दें कि, बढ़ते अधिनायकवाद और असमानता ने सैन्य तख्तापलट का नेतृत्व करने के बाद प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व जनरल के कार्यकाल को नुकसान पहुंचाया है। जिससे 2020 में प्रयुथ को हटाने की मांग करते हुए थाईलैंड के युवाओं ने पूरे देश भर में प्रयुत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
आपको बताते चले कि, थाईलैंड की सबसे बड़ी पार्टी लिबरल मूव फॉरवर्ड पार्टी ने सबसे अधिक सीटें और लोकप्रिय वोट का बहुमत हासिल किया। इस पार्टी ने अपने सुधारवादी कदम उठाए जिसके चलते युवा थाई लोगों इस पार्टी को फॉलो किया। सीएनएन के मुताबिक, दूसरा स्थान थाईलैंड की सबसे प्रमुख विपक्षी पार्टी फेउ थाई को मिला।
ये भी पढ़े
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.