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India News (इंडिया न्यूज़), Jammu&Kashmir, जम्मू: जम्मू-कश्मीर सरकार ने कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के साथ काम करने के आरोप में तीन राज्य कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। यह अधिकारी कथित तौर पर आतंकवादियों को रसद मुहैया कराने और आतंकी वित्त जुटाने और अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने में इन संगठनों की मदद करते पाए गए हैं।
सरकार ने तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया है। इनकी पहचान कश्मीर University के पीआरओ फहीम असलम, एक पुलिस कांस्टेबल अर्शीद अहमद थोकर और एक राजस्व अधिकारी मुरावथ हुसैन मीर के रूप में की गई है। सूत्रों का कहना है कि जांच से स्पष्ट रूप से पता चला है कि वे कथित तौर पर पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और आतंकी संगठनों का काम कर रहेथे।
आरोपियों में से एक, फहीम असलम, Kashmir University में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत है। इसके बारे में कहा जाता है कि वह कथित तौर पर पाकिस्तान आईएसआई से प्राप्त प्रारंभिक धन के साथ वैध व्यवसाय में उतरने से पहले आतंकवादी शब्बीर शाह का सहयोगी था। आरोपी प्रमुख समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर भी लिख रहा था। इसके लेखों का मकसद Jammu&Kashmir में आतंकवाद को वैध ठहराना और भारतीय संघ से जम्मू-कश्मीर के अलगाव का समर्थन करना था।
दूसरा आरोपी अर्शीद अहमद थोकर 2006 में Jammu&Kashmir पुलिस में सशस्त्र पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुआ था। वह पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ओवर ग्राउंड वर्कर्स के संपर्क में आया जिसके बाद आरोपी आतंकवादी संगठन के लिए एक माध्यम और कथित लॉजिस्टिक समर्थक बना।
तीसरा आरोपी मुरावथ हुसैन मीर राजस्व विभाग में कार्यरत था। जांच टीम के सूत्रों का कहना है कि वह अलगाववाद का एक कट्टर समर्थक है और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) और जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) जैसे कई प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लिए एक कथित सूत्रधार भी। तीन सरकारी अधिकारियों की बर्खास्तगी Jammu&Kashmir के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की “आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता” की नीति का हिस्सा है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब तक 52 सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।
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