संबंधित खबरें
गूगल मैप्स के सहारे कार में सफर कर रहे थे 3 लोग, अधूरे फ्लाईओवर में जा घुसी गाड़ी, फिर जो हुआ…सुनकर मुंह को आ जाएगा कलेजा
‘ये मुगलों का दौर नहीं…’, संभल जामा मस्जिद सर्वे पर ये क्या बोल गए BJP प्रवक्ता? सुनकर तिलमिला उठे मुस्लिम
शरद पवार, प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत का क्या होगा राजनीतिक भविष्य? दोबारा राज्यसभा जाने के रास्ते हुए बंद
60 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी फिर भी कैसे जीत गई BJP? सपा उम्मीदवार की जमानत हो गई जब्त, अखिलेश नोंचने लगे अपना माथा
बाला साहेब की विरासत को मिट्टी में मिला गए उद्धव ठाकरे, कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन पर अपनी हिंदूवादी विचारधारा को लगाया दांव पर, क्या अब कर पाएंगे वापसी?
‘मां मैं जल्द आ जाऊंगा…’, मौत से दो दिन पहले अपनी बूढी से कांस्टेबल ने किया था ये वादा, लेकिन दे गया दगा
India News(इंडिया न्यूज),Special Hearing: सुप्रीम कोर्ट आज एक अनोखे (Special Hearing) और महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई करने वाला है। इस याचिका में देशभर के सरकारी और आवासीय स्कूलों में कक्षा छठी से 12वीं तक की छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी पैड देने और महिलाओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की मांग है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट आज यानी सोमवार को सुनवाई करेगा। ज्ञात को कि, ये याचिका जया ठाकुर ने दाखिल की है। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने की मांग की गई है। बता दें कि, जया ठाकुर की याचिका पर सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई करेगी।
जानकारी के लिए बता दें कि, याचिका कर्ता जया ठाकुर ने वकील वरिंदर कुमार शर्मा के माध्यम से ये याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि, गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली 11 से 18 वर्ष की किशोरियों को शिक्षा प्राप्त करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि शिक्षा तक पहुंच की कमी है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार है। ये किशोर महिलाएं हैं, जो मासिक धर्म और मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में अपने माता-पिता से सुसज्जित नहीं हैं और उन्हें शिक्षित भी नहीं करती हैं। इसके अलावा याचिका में ये भी कहा गया है कि, “वंचित आर्थिक स्थिति और अशिक्षा के कारण अस्वच्छ और अस्वास्थ्यकर प्रथाओं का प्रसार होता है, जिसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम होते हैं, हठ बढ़ता है और अंततः स्कूल छोड़ना पड़ता है।”
मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी आदेश में बताया गया कि, पहले केंद्र से स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाई जाने वाली एक मानक संचालन प्रक्रिया और एक राष्ट्रीय मॉडल तैयार करने को कहा था। बता दें कि, 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, यह मुद्दा “अत्यंत महत्वपूर्ण” है और केंद्र को सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों सहित स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता के प्रबंधन पर एक समान राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों के साथ जुड़ना चाहिए।
ये भी पढ़े
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.