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India News (इंडिया न्यूज़), Pakistan News: पाकिस्तान के ‘एक्स’ वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान को तोशाखाना केस में गिरफ्तार किया गया, 3 साल की जेल हो गई। वैसे ‘एक्स’ शब्द ख़ुद इमरान ख़ान नियाज़ी को बहुत पसंद है। जेमिमा गोल्डस्मिथ इमरान ख़ान की पहली पत्नी थीं, अब ‘एक्स’ वाइफ़ हैं। इमरान का रिश्ता दूसरी पत्नी रेहम ख़ान के साथ कम समय तक चला, वो भी अब ‘एक्स’ वाइफ़ हैं।
2018 में इमरान ख़ान बुशरा बीबी उर्फ़ पिंकी पीरनी के साथ शादी के बंधन में बंध गए। पिंकी की मुहब्बत ने नियाज़ी को तोशाख़ाना केस में फंसा दिया। पिंकी में ‘एक्स’ फ़ैक्टर ढूंढते-ढूंढते पाकिस्तान क्रिकेट के पूर्व कप्तान ने ‘जिन्नालैंड’ का जनाज़ा निकाल दिया। रंगीला कप्तान, 3 बीवियां, बेवफ़ाई और नाजायज़ बच्चे, ये कहानी है क्रिकेटर से नेता बने इमरान ख़ान की।
अब समझिए कि क्या है तोशाखाना केस जिसने इमरान को सलाख़ों के पीछे भेज दिया है। पाकिस्तानी चुनाव आयोग के सामने सत्ताधारी सरकार ने तोशाखाना गिफ़्ट मामला उठा कर कहा कि, इमरान ने प्रधानमंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल में मिले गिफ़्ट को बेच दिया था। इमरान ख़ान को ये सारे तोहफ़े अलग-अलग देशों से मिले थे। इमरान की सफ़ाई ये है कि उन्होंने तोशाखाने से इन सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा जिसे बेचने पर उन्हें 5.8 करोड़ रुपए मिले। बाद में खुलासा हुआ कि ये रक़म 20 करोड़ से ज़्यादा थी।
मज़े कि बात ये कि इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान से पूछा कि आप तोहफों की जानकारी क्यों नहीं देते ? इस पर नियाज़ी के वकील का जवाब था- इससे मुल्क़ की सलामती को ख़तरा है। पाकिस्तान का क़ानून कहता है कि वज़ीर-ए-आज़म यानि PM, सदर यानि राष्ट्रपति को मिले तोहफों की जानकारी नेशनल आर्काइव को देनी होती है और वक़्त रहते तोशाखाना में जमा कराना होता है। अगर तोहफ़ा 10 हज़ार पाकिस्तानी रुपए की क़ीमत का है तो बिना कोई पैसा चुकाए इसे रखा जा सकता है।
बस यहीं पर इमरान ख़ान चूक गए। तोहफ़े पर उनकी तीसरी पत्नी बुशरा की नज़र पड़ी, आखें चुंधिया गईं और हो गया खेल। 3 करोड़ का तोहफ़ा कहीं 3 लाख तो कहीं 6 लाख का बता दिया। इसी क़ीमत पर इन्हें ख़रीदा और फिर ओरिजिनल क़ीमत से भी कई गुना ज़्यादा पर बेच दिया। साज़िश करने वाली हैं पिंकी पीरनी की दोस्त फ़राह ख़ान उर्फ फ़राह गोगी।
इमरान कई बार कह चुके हैं कि देश में सेना ही सब कुछ है। इमरान के कई करीबी उनका साथ छोड़कर जा चुके हैं। पाकिस्तान की सरकार के समर्थन से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ छोड़कर गए नेताओं ने इत्तहकाम-ए-पाकिस्तान (IPP) पार्टी बनाई है। इसे नवंबर में होने वाले चुनावों के लिए ही तैयार किया गया है। ख़ान को शक़ है कि इत्तहकाम-ए-पाकिस्तान (IPP) मिलिट्री को ड्राइविंग सीट पर रखने के लिए बनाई गई है।
इमरान ख़ान की 4 महीने में दूसरी गिरफ़्तारी हुई है। पाकिस्तान के सीक्रेट मास्टरमाइंड फ़ौजी चीफ़ जनरल असीम मुनीर हैं। जनरल मुनीर ज़िया-उल-हक़ के रास्ते पर चलकर इमरान ख़ान को तबाह करने की फ़िराक़ में हैं।
जिन्नालैंड के इतिहास के पन्ने पलट कर देखिए, फ़ौज और राजनीतिक मोहरों के बीच आंख-मिचौली का खेल चलता रहा है। पाकिस्तान में अब तक तीन बार फ़ौजी तख़्तापलट हो चुका है। पाकिस्तान में सैन्य शासन की शुरुआत नए देश बनने के 11 साल बाद से ही शुरू हो गई थी। राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने 1958 में मार्शल लॉ लगाया जिसे 1960 में हटाया गया। दूसरी बार साल 1969 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा। फिर 1977 में जनरल ज़िया-उल-हक़ ने पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू किया। 2 अक्टूबर 1999 को नवाज़ शरीफ़ की सरकार भंग करके सेना ने मोर्चा संभाला और जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने सत्ता अपने हाथ में ले ली।
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर लियाक़त अली ख़ान, इस्कंदर मिर्ज़ा, जनरल अयूब ख़ान, जनरल याहया ख़ान, जुल्फिकार अली भुट्टो, जनरल ज़िया-उल हक़, बेनज़ीर भुट्टो, ग़ुलाम इशाक़ ख़ान, फारूक़ लेघारी, नवाज़ शरीफ़, जनरल परवेज़ मुशर्रफ़, आसिफ़ अली ज़रदारी, इमरान ख़ान, शहबाज़ शरीफ़- राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष के नाम बदलते रहे। अगर कुछ नहीं बदला तो वो है पाकिस्तान की तस्वीर, तक़दीर और तासीर।
इस बार इमरान ख़ान ने जिन्नालैंड का जनाज़ा निकाला है। यक़ीन नहीं आता कि ये वही इमरान हैं जिन्होंने 16 साल की उम्र में क्रिकेट में डेब्यू किया, पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान बने, 1992 में अपने देश की झोली में विश्व कप डाला। यक़ीन नहीं आता कि ये वही इमरान ख़ान हैं, जिनसे संन्यास लेने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ज़िया-उल हक़ ने कहा कि आप वापस आइए, देश को आपकी ज़रूरत है। इमरान ख़ान नियाज़ी का तकिया कलाम है- “आपने घबराना नहीं है”। तो इमरान साहब इस बार आपने घबराना ही घबराना है क्योंकि नियाज़ी पाकिस्तान की बाज़ी हार चुका है।
लेखक राशिद हाशमी इंडिया न्यूज़ चैनल के कार्यकारी संपादक हैं
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