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India News (इंडिया न्यूज़), Anil Thakur, दिल्ली: हिमाचल कांग्रेस में सियासी महाभारत का शंखनाद हो चुका है, सियासी रण में कौरव और पांडव उतार दिए गए हैं, अब तैयारी सियासी युद्ध की हो रही है। हिमाचल कांग्रेस आतंरिक युद्ध के मुहाने पर खड़ी है ये बात तब और पुख्ता हो गई जब सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होता है और फिर धर्मशाला से ही कांग्रेस के विधायक उस पर कमेंट कर आग में घी डालने का काम कर देते हैं। दरअसल सुक्खू सरकार को बने 8 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है और सुक्खू की शपथ से ठीक पहले हिमाचल की राजधानी शिमला में एक बड़ा सियासी ड्रामा हुआ था और कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। किसी तरह वो सियासी ड्रामा थमा था, लेकिन पिछले 8 महीने में कांग्रेस के नेताओं के बयानों से ये समझ आ रहा था कि अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है एक शीत युद्ध की स्थिति बनी हुई है।
मंत्रीमंडल में जगह मिलने की उम्मीद लगाए बैठे राजेंद्र राणा ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में पांडवों और दुर्योधन का जिक्र कर अपना दर्द बयां किया वहीं सुधीर शर्मा ने तुलसीदास और अर्जुन का जिक्र कर अपनी नाराजगी जताई। महाभारत के अलग-अलग प्रसंगों को सोशल मीडिया पर लिखकर दोनों कांग्रेस नेताओं ने अपना- अपना हाल-ए-दिल बयां किया। राजेंद्र राणा ने अपने पोस्ट में लिखा कि ‘जो विवादों में उलझ जाते हैं वो अकसर दिलों से उतर जाते हैं। पांडवों ने पांच गांव ही मांगे थे दुर्योधन ने सुई की नोंक जितनी जमीन देने से इनकार कर दिया था और एक जिद ने महाभारत रच दिया था’। वहीं सुधीर शर्मा ने राजेंद्र राणा के पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा कि ‘तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान, भीलां लूटी गोपियां वही अर्जुन वही बाण’ यानि वक्त इंसान को सर्वश्रेष्ठ और कमजोर बनाता है अर्जुन का भी वक्त बदल गया था। अब कैबिनेट में मंत्री पद की आस लगाए बैठे इन दोनों नेताओं के शब्दों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और सीएम सुक्खू से दोनों की नाराजगी साफ झलक रही है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिले से विधायक राजेंद्र राणा 2017 विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को हराकर सुर्खियों में आते हैं और 2022 में चुनावों में दूसरी बार जीतने के बाद मंत्री पद पर दावा ठोकते हैं लेकिन उन्हे जगह नहीं मिलती है प्रदेश की पहली कैबिनेट का गठन हुआ उसमें तीन पद खाली रहे, वीरभद्र समर्थक राजेंद्र राणा को उम्मीद थी कि कैबिनेट विस्तार के वक्त उनको मंत्री पद मिलना पक्का है। वहीं वीरभद्र मंत्रीमंडल में मंत्री रहे सुधीर शर्मा शिमला से दिल्ली तक मंत्री बनने की दावेदारी ठोक चुके हैं। सरकार बने हुए 8 महीनों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है और दोनों के सब्र का बांध भी अब टूटने लगा है और उसकी झलक सोशल मीडिया पर दिख भी गई। सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद दोनों नेताओं के समर्थकों ने कांग्रेस आलाकमान को घेर लिया और 2024 लोकसभा चुनाव में परिणाम भुगतने की धमकी दी है। वहीं कांग्रेस की गुटबाजी सामने आने के बाद भला प्रदेश में विपक्ष की भूमिका में बैठी बीजेपी कब तक चुप रहती। बीजेपी ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली और आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस में अंतर्कलह है और प्रदेश का विकास अवरूद्ध है। भाजपा प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी ने कहा कि कांग्रेस एक विभाजित दल है कांग्रेस के नेता पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं और सुक्खू सरकार की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं कांग्रेस विधायक के पोस्ट ने कांग्रेस में एक नए युद्ध का आगाज़ कर दिया है।
राजेंद्र राणा को मंत्रीमंडल में शामिल करना कांग्रेस के लिए कोई आसान बात नहीं है क्योंकि राजेंद्र राणा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र और सीएम के गृह जिले से आते हैं और राणा प्रतिभा सिंह कैंप के माने जाते हैं हमीरपुर संसदीय सीट से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री आते हैं क्षेत्रिय संतुलन बिठाने के लिए कांग्रेस हमीरपुर जिले के बाहर से ही मंत्रीमंडल में 3 नाम तय करना चाहती है, सबसे बड़े जिले कांगड़ा जहां कांग्रेस ने 15 में से 10 सीटें अपने नाम की थी वहां से मात्र एक मंत्री कैबिनेट में हैं ऐसे में सुधीर शर्मा कांगड़ा से तो आते हैं लेकिन वो भी प्रतिभा कैंप से हैं ऐसे में सुक्खू कैबिनेट में उनका पत्ता कटना करीब करीब तय है। हिमाचल में कांग्रेस और सरकार के लिए आने वाले वक्त में चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं संगठन और सरकार में संतुलन नहीं बैठता है तो सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए सरकार चलाना और प्रतिभा सिंह के लिए संगठन चलाना आसान नहीं होगा और बीजेपी हिमाचल में एक मौके की तलाश में घात लगाकर पहले से ही बैठी हुई है।
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