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India News (इंडिया न्यूज़), Ajay Gohil, Raisen : स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला रायसेन के स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। कर्मचारियों की भविष्य निधि सहित अन्य भत्ता एवं यात्रा व्यय के नाम पर दूसरों के खातों में करोड़ों रूपए ट्रांसफर कर दिए गए। जब स्वास्थ्य मंत्री का गृह जिले में इतना बड़ा भ्र्ष्टाचार हुआ तो पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के क्या हाल होगा।
मामला उजागर होते ही स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है जब मीडिया की टीम स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यालय पहुंची तो आज दोपहर तक जिले का सीएमएचओ कार्यालय पूरी तरह से खुला नहीं था। CMHO डॉ दिनेश खत्री के कक्ष पर भी ताला लगा था। मुख्य सेक्शन में ताले लटक रहे है। यह घोटाला ट्रेजरी के IFMC पोर्टल के माध्यम से सामने आई है, टीए बिल यात्रा भत्ता बिल सहित कर्मचारियों की भविष्य निधि में भी सेंध लगा दी गई। यह गोरख धंधा पिछले 5 साल से चल रहा था।
स्वास्थ्य विभाग में मृत लोगों की फैमिली पेंशन और जिन स्वास्थ्य कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी उनका वेतन भी दूसरों के खाते में डालकर निकल रहे थे। कलेक्टर ने तीन कर्मचारियों को निलम्बित किया है। मध्यप्रदेश ट्रेजरी पोर्टल के नए वर्जन IFMC इंट्रीगे्रटैड फाइनेंशियल मानीटरिंग सिस्टम बदलने के बाद यह पूरा घोटाला सामने आया। बताया जा रहा है की स्वास्थ्य विभाग के ऐसे 13 घोटालेबाज स्वास्थ्य कर्मी हैं जिनके खातों में अवैध तरीके से पैसा ट्रांसफर किया जा रहा था।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा दिनेश खत्री केमरे के सामने तो नहीं आए लेकिन उनका कहना है कि यह मामला सामने आया है और मामले की जांच की जा रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी भी इस पूरे मामले में बचते हुए नजर आए सिर्फ इतना कहा कि जो भी गडबड़ी हुई है, उसकी जांच की जाएगी। सीएमएचओ कार्यालय एवं अन्य ब्लाकों में लेखापाल द्वारा रातों रात इस घोटाले के जरिए अपने रिश्तेदारों को लखपति बना दिया है। करोड़ों रूपए के इस घोटाले के मामले को रफा दफा किए जाने की कोशिश की जा रही है।
वहीं एक सवाल और ये है की जब 13 लोगों ने इस घोटाले को अंजाम दिया है तो सिर्फ़ तीन लोगों पर ही कार्यवाही क्यों?
कहाँ जा रहा है कि, इसमें शामिल एक आरोपी को पहले भी लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथों पकड़ा था। उसके बाद भी उस पर निलंबन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
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