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India News (इंडिया न्यूज़), Rana Yashwant, EC: 9 दिसंबर 1990 को तब की चंद्रशेखर सरकार के कानून मंत्री सुब्रम्ण्यम स्वामी आधी रात पंडारा रोड में रह रहे योजना आयोग के सदस्य टीएन शेषन के घर पहुंचे थे। दोनों की पुरानी मित्रता, ऑक्सफोर्ड में साथ बना था। और फिर वह दिल्ली की राजनीति औऱ नौकरशाही के जरिए बना रहा स्वामी ने शेषन को कहा कि प्रधानमंत्री चंद्रशेखर तुम्हें मुख्य चुनाव आयुक्त बनाना चाहते हैं। शेषन ने कहा कि मुझे जवाब देने के लिए 24 घंटे चाहिए स्वामी के जाने के बाद शेषन ने राजीव गांधी को फोन किया, उनसे पांच मिनट के लिए मिलने का निवेदन किया और पहले मना करने के बाद राजीव गांधी ने आखिरकार बुला लिया 5 मिनट की मीटिंग 25 मिनट चली।
राजीव गांधी शेषन को छोड़ने गेट तक आए, और आखिरी लाइन यही कही कि ये दाढीवाला तुमको मुख्य चुनाव आयुक्त बनाकर पछताएगा। हुआ ऐसा ही टीएन शेषन के सबसे चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त सरकार के स्टांप पर की हैसियत रखते थे। लेकिन टीएन शेषन ने बताया कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की शक्ति और लोकतंत्र में उसकी भूमिका कितनी बड़ी है शेषन के बाद चुनाव आयोग की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों ने उसकी साख को कम ही किया।
अब केंद्र सराकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में नया बिल लेकर आई है। इसके कारण देश की राजनीति गरमाई हुई है। चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को 65 वर्ष के हो जाएंगे, लिहाजा उनका उस दिन रिटायरमेंट तय है। यह वही समय है जब चुनाव आयोग आम चुनावों के लिए तैयारी मेंलगा होगा।
लोकसभा चुनावों से ऐन पहले चुनाव आयोग की जिम्मेदारी संभालने वालों की नियुक्ति और सेवा शर्तों में बदलाव की सरकार की तैयारी पर विपक्ष सवाल कर रहा है। उसका कहना है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार देश के चीफ जस्टिस को हटाकर केंद्र सरकार के मंत्री को जगह दे रही है, यह सीधे-सीधे संवैधानिक संस्था पर कब्जे की कोशिश है बिल कहता है कि अब पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की ओर से नामित उनकी कैबिनेट का कोई मंत्री होगा। गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव इस साल सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच के फैसले के जरिए आया जिसमें कहा गया कि चुनाव आयोग के शीर्ष तीन अधिकारियों की नियुक्ति का एक पैनल होगा।
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