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India News (इंडिया न्यूज़), Martand Singh, लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को ताजपोशी के दौरान कांग्रेस ने अपनी सॉफ्ट हिंदुत्व के आवरण को उतारकर हार्डकोर हिंदुत्व का मैसेज देने की कोशिश की. अजय राय के पदभार ग्रहण कार्यक्रम को शुरुआत गंगा आरती से हुई. पूरे कार्यक्रम के दौरान हर हर महादेव के नारे गूंजते रहे. सुबह से ही बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अपने अध्यक्ष के इंतेजार में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर मौजूद थे. पार्टी को तरफ से अजय राय को की ताजपोशी कार्यक्रम को बडा बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी गई.
कार्यकर्ताओं का हुजूम अध्यक्ष के स्वागत में गाजे बाजे के साथ पहुंचा थे. पार्टी को कोशिश भी यही थी किसी तरफ से कांग्रेस ले सोये कर्तकर्ताओं में नव ऊर्जा का संचार किया जाए. जिससे कि पार्टी जब लोकसभा चुनाव में जाए तो ये कार्यकर्ता जमीन पर उतरकर जनसंवाद स्थपित कर सकें और बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार कर सकें. अजय राय के पदभार ग्रहण के पहले बाकायदा मंत्रोच्चार किया गया. यही नही जब खुद अजय राय ने मंच से बोलना शुरू किया तो सबसे पहले गणेश आराधना की. कहीं न कहीं कांग्रेस की अब बीजेपी को टक्कर देने के लिए उसी की शैली में जवाब देने की तैयारी कर रही है. अपने संबोधन के दौरान भी अजय राय ने साफ कहा कि “मैं भगवान गणेश की आराधना करते हुए अपने कार्य का प्रारम्भ कर रहा हूँ.हम गंगा के साथ खड़े होने वाले लोग हैं, जो काशी का मिजाज है वही देश की सोच है तथा कांग्रेस की सोच और काशी की सोच एक जैसी है.”
अजय राज की ताजपोशी के दौरान तमाम बड़े नेता मंच पर मौजूद रहे.लखनऊ मंच पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद, पूर्व अध्यक्ष बृजलाल खबरी, आराधना मिश्र,सुप्रिया श्रीनेत समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. इस दौरान सभी ने अपने संबोधन से कार्यकर्ताओ में जोश भरने की कोशिश की. वरिष्ठ नेता और राज्य सभा संसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि अजय राय जी आप कार्यकर्ता और नेता की दूरी मिटा दो, ये प्रदेश आपका हो जाएगा. साथ ही कहा कि इंडिया गठबंधन एनडीए की मौत का पैगाम है.कार्यकर्ता अजय राय के स्वागत के लिए इतने उत्साहित थे कि एक बार मंच पर अव्यवस्था की स्थिति बन गई ऐसे में अजय राय को खुद सामने आकर समझना पड़ा.
आपको बता दें कि अजय राय को बृजलाल खाबरी की जगह बीते दिनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. लोकसभा चुनाव के पहले अजय राय को अध्यक्ष बनाने के पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं. जानकारों का कहना है कि अजय राय कांग्रेस आलाकमान की पसंद इसलिए बने क्योंकि वो लगातार वाराणसी में पीएम मोदी की खिलाफत करते रहे हैं. साथ ही राय को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे पार्टी का पूर्वांचल पर फोकस भी नजर आ रहा है. कांग्रेस पूर्वांचल को कितनी गंभीरता से लेती है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रियंका गांधी ने जब सियासत में कदम रखा तब उनको महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की ही जिम्मेदारी दी गई थी.
एनडीए के खिलाफ कांग्रेस की अगुआई में बने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के एजेंडे में भी अजय राय फिट बैठते हैं. उत्तर प्रदश की बात करें तो कांग्रेस के साथ सपा और आरएलडी शामिल है. कांग्रेस का फोकस विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों को देखते हुए जातीय और सामाजिक समीकरण साधने पर भी है. सपा के सहारे पार्टी की नजर ओबीसी वोट पर है तो वहीं जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के सहारे पश्चिमी यूपी में जाट वोट मिलने की उम्मीद है. ऐसे में कांग्रेस अजय राय के सहारे अपना परंपरागत वोट बैंक रहे सवर्णों को फिर से साथ लाने की कोशिश में है. अजय राय भूमिहार बिरादरी से आते हैं यूपी में भूमिहार वर्ग की पकड़ ब्राह्मण और राजपूत दोनों वोट बैंक के बीच दिखती है. अपनी इस सामाजिक पकड़ का फायदा उठाकर अजय राय भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश कर सकते हैं.
अजय राय एक जमीनी नेता माने जाते हैं. उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने से पूर्वांचल में कांग्रेस अपनी पकड़ और मजबूत बनाएगी.अजय राय का प्रभाव न सिर्फ वाराणसी बल्कि समूचे पूर्वांचल और बिहार की यूपी से लगी सीमाओं में भी अच्छा खासा माना जाता है. सियासी जानकारों की माने तो कांग्रेस इस समय उत्तर प्रदेश में जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रही है खासकर पूर्वांचल में. ऐसे में अजय राय की ताजपोशी पार्टी के लिए संजीवनी का काम कर सकती है.पूर्वांचल में अजय राय को हटा दें तो कांग्रेस के पास कोई ऐसा नेता नहीं है जो अपने बल-बूते बड़ी संख्या में लोगों को जुटा पाए. अजय राय के पास कार्यकर्ताओं की अच्छी तादाद है.
वहीं दूसरी तरफ अजय राय मुखर नेता हैं और तमाम मुद्दों पर लगातार लोगों के बीच अपनी बात पूरी मजबूती से रखते रहे हैं. यही नही जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी तब जेल में मुख्तार अंसारी को स्पेशल ट्रीटमेंट मिलने की खबरों ने खूब तेजी पकड़ी थी. उस समय भी अजय राय अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सवाल खड़े किए थे. अजय राय के बारे में कहा जाता है कि वो जितनी पकड़ भूमिहार बिरादरी में रखते हैं, उतनी ही दूसरी जातियों में भी.
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