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India News(इंडिया न्यूज) MP News: पुरातन काल से सनातन एक परंपरा रही है। सनातन एक जीवन शैली है, और इसलिए सनातन पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं पर अगर सवाल उठ रहे हैं, या कुछ लोग सनातन को झुठला रहे है तो इन बातों को भी समझना होगा कि सनातन पर सवाल क्यों उठ रहे हैं, क्योंकि सनातन तो सत्य है फिर सत्य को असत्य क्यों कहा जा रहा है। इसके पीछे की बातें या इसके पीछे की तस्वीरें क्या है।
इसके पीछे का कारण क्या है कहीं ऐसा वो तो नहीं कि जो लोग सनातन का झंडा लेकर सनातन की बात कर रहे हैं, कहीं उनकी कार्यशैली के कारण तो सनातन पर सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं। वैसे सामान्य तौर पर देखा जाए तो सनातन को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। पर चंद लोगों ही हैं जो सनातन की परिभाषा की ठीक से व्याख्या कर पाएँ इस दुनिया की एक बड़ी आबादी ये भलीभाँति जानती है कि कोई तो शक्ति है जो इस ब्रम्हाण्ड को चला रही है, और सनातन ही तो है वही तो ब्रह्मांड को चला रहा है इसलिए सनातन सत्य हैं कही सनातन को अपने हिसाब से आगे बढाने वाले लोगो की कार्यशैली पर ही प्रश्न चिंह नहीं लग रहे।
कहीं ऐसा तो नहीं लोग भगवा को ही सनातन समझ बैठे हों क्योंकि मेरे मन में शंका उठ रही है कि कहीं सनातन भी तो राजनीति का शिकार नहीं हो गया असल में हाल के दिनों में कुछ बयान आए और ये बयान उन्हीं लोगों के हैं जो सनातन का झंडा पकड़कर लोगों के बीच जाकर सनातन को परिभाषित करते हैं, लेकिन कहीं न कहीं इनकी परिभाषा में कुछ ऐसा हो जाता है जो सनातन पर ही प्रश्न चिंह लगा देता है इनके सनातन पर।
मैं आपको मध्य प्रदेश लेके चलता हूँ वहाँ पर विधानसभा चुनाव है, और विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सनातन की हुंकार भरने वाले कुछ धर्माचार्य जो सनातन का नाम तो लेते है, लेकिन उनके मुँह से कब सनातन की बातें निकलें और कब राजनीति और राजनेताओं से जुड़ी हुई बातें निकल जाए पता ही नहीं चलता है उदाहरण के तौर स्वामी रामभद्राचार्य जो राम कथा कहते हैं। लेकिन सिवनी की एक सभा में उन्होंने BJP के उम्मीदवार को चुनाव जिताने की अपील कर दी वह यहीं पर नहीं रुके उन्होंने यहाँ तक कह दिया की वो उसे मंत्री बनवाएंगे।
उसके कुछ घंटे बाद उनका एक और बयान आता है और वो कहते हैं ये इस बार का चुनाव सनातन मननों वाले और सनातन नहीं मानने वालों के बीच का चुनाव है। शिवराज सिंह चौहान सनातनी इसलिए उनको जिताना है कमलनाथ सनातन ही नहीं इसलिए उन्हें हराना है। इस तरह का बयान सुनकर एक पल के लिए तो मैं भी सन्न रह गया किसी धर्माचार्य को किसी राजनेता या राजनैतिक पार्टी के लिए इस तरह कि बातों का उल्लेख करना क्या ठीक है। श्रद्धालुओं से जो राम कथा सुनने आए हैं क्या ये अपील करनी चाहिए कि वो किस पार्टी को वोट दें या किसे नहीं ।मध्य प्रदेश इस वक़्त देश के लोकप्रिय बाबाओं का गढ़ है।
देश भर में इनके लाखों प्रशंसक हैं जैसे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम, पंडित प्रदीप मिश्रा है जिनकी सभाओं में 10 से 15 लाख लोगों की भीड़ आती है। प्रदेश का हर राजनेता और राजनैतिक पार्टी इनकी कथाएं कराने में पुरज़ोर कोशिश कर रहा है। मज़ेदार बात ये है कि जिसकी कथा होती है ये बाबा उन्हीं की तारीफ़ में क़सीदे पढ़ते नज़र आते है। चाहे वो कमलनाथ हो या फिर शिवराज हाल के दिनों में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कमलनाथ को ज़ोरदार सनातनी घोषित कर दिया तो प्रदीप मिश्रा ने कथा सुनने आए श्रद्धालुओं से कमलनाथ की कई बातें का अनुसरण करने की अपील कर दी।
अब सवाल ये है कि लोग धर्माचार्यों को सनातन का सिंबल मानते हैं, लोग इनकी बातों पर भरोसा करते हैं लोग इनके चेहरे पर यक़ीन करते हैं लोग इनकी बातों को ही सत्य समझते हैं, और लोग इन्हें सनातन का पर्यायवाची मानते हैं। लेकिन जब बाबाओं की बातों में राजनीति आ जाए बाबाओं की बातों में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए जिताने की अपील हो जाए ये बाबा किसी राजनैतिक पार्टी को वोट देने की बात करने लगें आप इसे आप क्या कहेंगे। अब जो लोग इन धर्माचार्यों को सनातन समझ लेंगे तो सनातन पर भ्रम होना स्वाभाविक है।
तमिलनाडु के मंत्री उदय निधि स्टालिन या ए राजा ने सनातन को लेकर बयान दिया। मैं उस बयान का क़तई समर्थन नहीं करता लेकिन उस बयान पर पूरे देश में बहस चल रही है लेकिन इस बहस के बीच ये भी समझना होगा कि सनातन क्या है सनातन वो नहीं जो दिख रहा है। सनातन वो नहीं है जो बिक रहा है और आज के बाबा बेच रहे है सनातन अनंत है सनातन सत्य हैं सनातन ही जीवन है। फ़र्क सिर्फ़ इतना ही है कि सनातन को लेकर आंखों के सामने जो पर्दा डाला गया है या जो भ्रम है उसे हटाया जाए। तब सनातन समझ में आएगा और भ्रम अपने आप दूर हो जाएगा।
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