संबंधित खबरें
Delhi Railway News: ट्रेन यात्रियों के लिए बड़ी खबर, कोहरे के कारण इतने दिन तक बंद रहेंगी दिल्ली-हरियाणा की 6 ईएमयू ट्रेनें
UP By-Election Results 2024 live: यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग जारी, नसीम सोलंकी की जीत तय
Bihar Bypolls Result 2024 Live: बिहार की 4 सीटों पर मतगणना शुरू! सुरक्षा पर प्रशासन की कड़ी निगरानी
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: महाराष्ट्र में महायुति तो झारखंड में JMM गठबंधन सरकार बनाने की तरफ अग्रसर, जानें कौन कितने सीट पर आगे
मातम में बदलीं खुशियां, नाचते- नाचते ऐसा क्या हुआ शादी से पहले उठी…
नाइजीरिया में क्यों पीएम मोदी को दी गई 'चाबी'? क्या है इसका महत्व, तस्वीरें हो रही वायरल
India News (इंडिया न्यूज), New Delhi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जल्द ही अपनी गठित नई टीम को प्रभार की जिम्मेदारी सौंप देंगे। जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार संगठन महासचिव पद पर बदलाव के कोई आसार नहीं हैं। के सी वेणुगोपाल के पास संगठन का महासचिव पद बरकार रहेगा।
वेणुगोपाल अब एक तरह से अहमद पटेल की भूमिका में आ गए हैं। जिस तरह पटेल सोनिया गांधी के सबसे भरोसे मंद राजनीतिक सलाहकार थे। उसी तरह वेणुगोपाल भी राहुल के सबसे भरोसे के सलाहकार है। इनके बाद सबसे बड़ा नाम है प्रियंका गांधी का। प्रियंका गांधी लंबे समय महासचिव रहीं।उनके समर्थक उम्मीद कर रहे थे कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष जैसा पद मिलना चाहिए। लेकिन लगता है कि प्रियंका को किसी राज्य का प्रभारी महासचिव ही बनाया जायेगा।
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों के नाम की चर्चा है।विभागों के बंटवारे के साथ लगभग 100 से ज्यादा नए सचिव भी बनाए जायेंगे। दूसरी अहम बात पिछले साल उदयपुर में घोषित तीन नए विभाग के भी खोले जाने के आसार भी कम ही दिखाई दे रहे हैं। एक अहम संकल्प को फिलहाल हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया। यह संकल्प था कि कोई भी पदाधिकारी पांच साल से ज्यादा पद पर नहीं रह सकता। पांच साल बाद उसे इस्तीफा दे तीन साल बाद पद मिलेगा। यह एक ऐसा संकल्प था पार्टी अगर इसे मानती तो कांग्रेस मुख्यालय के आधे से ज्यादा कमरों में नए चेहरे बिठाने पड़ते।
मौजूदा हालात पार्टी में अनुभव वाले चेहरों की कमी है।अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को कार्यसमिति के गठन में ही अच्छी खासी मशक्त करनी पड़ गई। ले दे कर उन्हें मौका दिया गया जो नेताओं के इर्दगिर्द चक्कर काटते थे। कुछ तो ऐसे हैं कभी चुनाव लडे नहीं जिनकी किसी भी राज्य में कोई पहचान नहीं है। कार्यसमिति तो जैसे तैसे बन गई अब विभागों और राज्यों का बंटवारा करना बड़ी चुनौती है।
संगठन महासचिव पद का मामला तो इसलिए जोर नहीं पकड़ा क्योंकि राहुल गांधी से जुड़ा मामला था। तीन नए विभागों एक था पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट,दूसरा राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और सबसे अहम था इलेक्शन मैनेजमेंट विभाग। इस विभाग के मुखिया की हैसियत संगठन महासचिव के बराबर होती। कर्नाटक की जीत के बाद रणदीप सुरजेवाला उम्मीद कर रहे थे दो प्रमुख पदों से एक उन्हें मिलेगा। लेकिन मध्यप्रदेश जैसे अहम प्रदेश की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद लगता है कि अब वह इसी राज्य के प्रभारी रहेंगे। संकेत हैं कि चुनाव वाले राज्यों के प्रभारियों को नहीं छेड़ा जाएगा।
मसलन राजस्थान,मध्यप्रदेश आदि। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में भी बदलाव के आसार कम हैं, लेकिन प्रियंका ने किसी में रुचि दिखाई तो तब बदलाव हो सकता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक,तमिलनाडु, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों को नए प्रभारी मिल सकते हैं। राजस्थान के हरीश चौधरी,महेंद्र जीत सिंह मालवीय और जितेंद्र सिंह विधानसभा का चुनाव लडेंगे। इसलिए इन तीनों नेताओं को राज्यों का प्रभार नहीं मिलेगा। अभी हरीश और जितेंद्र प्रभारी के रूप में कार्यसमिति में राजस्थान से एक बड़ा नाम सचिन पायलट का भी है। उन्हें कार्यसमिति में पहली बार शामिल किया गया है। वे भी चुनाव लडेंगे।
संकेत हैं उन्हें किसी अहम राज्य की जिम्मेदारी दी जा सकती।अब यह देखना होगा कि पार्टी अध्यक्ष खरगे राजस्थान से जुड़े नेताओं को प्रभारी के रूप में केसे एडजस्ट करेंगे।राजस्थान के मोहन प्रकाश पहले प्रभारी रह चुके है।इस बार उन्हें फिर मोका मिल सकता है।
Also Read:
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.