संबंधित खबरें
क्या मुगलों ने भारत में जबरन धर्म परिवर्तन कराया था? इतिहास का वो काला सच जान उड़ जाएंगे आपके होश!
Parliament Winter Session: 'मुट्ठीभर लोगों की गुंडागर्दी के जरिए…', शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले PM मोदी ने भरी हुंकार, विपक्षियों को यूं दिया करारा जवाब
प्याज-टमाटर के बाद फटा CNG बम, इन शहरों में मंहगा हुआ ईंधन, आसमान छुएगा गाड़ी का खर्च
शादी में दुल्हन को छोड़…मिनी ट्रक के पीछे क्यों भागने लगा दूल्हा, वीडियो देख नहीं होगा आंखों पर विश्वास
अग्रेंजी बोलने वाला इंजीनियर सड़कों पर मांग रहा भीख, मां बाप को खोने के बाद हुआ ऐसा हाल, वीडियो देखने वाले रो पड़े
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू, अडानी-मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष कर सकता है चर्चा की मांग, जानें किन बिलों को लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
India News (इंडिया न्यूज), Women’s Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र का आज यानी 20 सितंबर को तीसरा दिन है। संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में शुरू हो गई है। कल यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया। बता दें नए संसद में भवन में पेश होने वाला पहला बिल ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ है। ऐसे में आज इस विल को लेकर संसद में बहस जारी है। कहा जा रहा है कि ये बिल अभी सिर्फ पेश किया गया है इसे आने में अभी देरी है। इसे लेकर तर्क दिया जा रहा है कि जनगणना के बाद परिसीमन होकर इस बिल को लागू किया जाएगा। ऐसे में बिल के पास होने में देरी को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलवार है और इस बिल को जल्दी लानें की मांग कर रही है। ऐसे में आइए जानते हैं ये बिल महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है।
महिला आरक्षण बिल एक ऐसा बिल हैं जिसे यदि लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर दिया गया तो लोकसभा दिल्ली विधानसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। आसान भाषा में कहें तो महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित होंगी। वर्तमान स्थिती का उदाहरण लिया जाए तो इस समय लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है जिसमें महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत से भी कम है। यानी 543 में से महिलाओं की कुल संख्या केवल 78 हैं। ऐसे में यदि ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है तो महिलाओं के लिए 33 फीसदी सिटें आरक्षीत हो जाएंगी और तब महिलाओं की संख्या 181 होना अनिवार्य हो जाएगा। हालांकि ये बिल 15 साल के लिए ही लाया जा रहा है। बता दें राज्यों के विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 12 से 13 प्रतिशत ही है।
महिला आरक्षण बिल का मुद्दा जरूरी है क्योंकि यह समाज में जातिवाद, लिंग भेदभाव, और महिलाओं की समाज में समान अधिकारों की गरिमा को बढ़ावा देता है और उन्हें समाज में अधिक सकारात्मक भूमिका देता है। यह कुछ कारण हैं:
महिला आरक्षण बिल उन्हें समाज में समानता का अधिकार प्राप्त करने में मदद करता है। यह बिना जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर किए जाने वाले भूखमरी और विकास के कार्यों में उन्हें शामिल करने का मौका देता है.
महिलाएं समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिला आरक्षण उन्हें सरकारी नौकरी, शिक्षा, और प्रशासनिक पदों में अधिक अवसर प्रदान करता है, जिससे समाज का विकास होता है।
महिला आरक्षण कानून उन्हें विभिन्न प्रकार की उत्पीड़न, हिंसा, और उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है।
महिला आरक्षण कानून समाज में लिंग भेदभाव के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश भेजता है और लोगों के विचारों में बदलाव लाता है।
यह कानून महिलाओं को सशक्त बनाता है और उन्हें समाज में उनके अधिकारों की सच्ची मान्यता दिलाने में मदद करता है। इन कारणों से, महिला आरक्षण बिल जरूरी है ताकि समाज में समानता, समरसता, और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।
ये भी पढ़ें –
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.