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India News (इंडिया न्यूज़) (Biplav Kumar) Pitru Paksha Mela 2023: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 का शुभारंभ हो गया है। जिसका आरम्भ बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने दीप प्रज्वलित कर किया था। यह पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष मेला के पहले दिन पटना से सटे पुनपुन में पिंडदान तर्पण करने का विधान है। वैसे तीर्थयात्री जो पुनपुन नहीं जा पाते हैं वह पहले दिन गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान तर्पण करते हैं। हालांकि गयाजी में मुख्तौर से पितृपक्ष मेला आगाज होने के अगले दिन भिड़ होती हैं।
आज पहले दिन 29 सितंबर को हजारों की संख्या में श्रद्धालु फाल्गुन नदी के किनारे देव घाट पर पिंडदान तर्पण कर रहे हैं। पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन गयाजी में खीर से श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड होता है। द्वितीय दिन प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, कागबली, रामशिला,रामकुंड वेदी पर पिंडदान किया जाता है।
पितृपक्ष मेला के आगाज होने के अगले दिन फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट में करीब 50 हजार तीर्थ यात्रियों का जिस तरह से पिंडदान करने का जनसलाम उमड़ा है उसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि देश के कोने-कोने से पिंडदानी पिंडदान करने के लिए पहुंच रहे हैं। इस तरह से उम्मीद है कि 50 हजार पिंडदान हो सकता है। पिंंडदानियों के लिए गया जिला प्रशासन की ओर से विशाल पंडाल बनाया गया हैं। विशाल पंडाल में बैठकर तीर्थ यात्रियों ने पिंडदान का कर्मकांड किया और पितरों के मोक्ष की कामना की है। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पितृपक्ष के कर्मकांड पुरोहित द्वारा कराए जा रहे हैं।
हरियाणा के हिसार से पहुंचे पवन कुमार गोयल और बिहार के आरा से आए विमल कुमार सराओगी ने बताया कि वह अपने पितरों के मौत की कामना को लेकर गया जी पिंडदान करने को आए हैं। पवन कुमार गोयल ने बताया कि वह अपने कई पीढियां के मोक्ष की कामना को लेकर यहां पहुंचे हैं। फोटो फ्रेम में करवा कर पिंडदान कर्मकांड के दौरान उसे सामने रखकर मोक्ष की कामना कर रहे हैं। गयाजी मोक्ष धाम की धरती है। यहां आकर उन्हें काफी अच्छा लगा और यहां उन्होंने पितरों के लिए मोक्ष की कामना की है। वही विमल कुमार सरावगी ने बताया कि वह सपरिवार यहां पहुंचे हैं और पितरों के लिए मोक्ष की कामना कर रहे हैं।
वहीं पुजारी चंदन कुमार पांडे ने बताया कि पितरों के मोक्ष की कामना की धरती गया जी है। यहां आज फल्गु नदी के तट देवघाट पर पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं। फल्गु की अपनी महत्ता है और गया जी पिंडदान के लिए विख्यात है। यहां अलग-अलग वेेदियों पर लोग पिंडदान करते हैं।
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