India News (इंडिया न्यूज़) (Anant Sharma) Chhattisgarh Vidhansabha Election 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों में घमासान जारी है। चुनाव में जीत के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। आलम ये है कि न सिर्फ स्थानीय नेताओं पर बल्कि देशभर के सैकड़ों अनुभवी नेताओं को बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के चुनावी समर में झोंक दिए हैं। हालांकि कांग्रेस इससे जनता पर कोई असर नहीं पड़ने का दावा कर रही है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं को कमान सौंप दी है। पहली बार आचार संहिता लगने से पहले देश भर से बीजेपी के 220 बड़े नेताओं की फौज अगले 2 महीने के लिए छत्तीसगढ़ आने वाली है। इसमें हर जिले और संभाग के एक-एक प्रभारी छत्तीसगढ़ आ चुके हैं, ये सभी बिहार, झारखंड और ओडिशा के बड़े नेता हैं। इनमें कुछ सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री और संगठन महामंत्री तक हैं। इन नेताओं की रिपोर्टिंग सीधे दिल्ली से होगी, इसके लिए छत्तीसगढ़ का दिल्ली में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
फिलहाल भाजपा के प्रभारियों की जिम्मेदारी बाकियों को समझाना,जीत के लिए काम करना, जहां प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं वहां चुनावी रणनीति बनाना, प्रत्याशियों पर नजर रखना, जहां प्रत्याशी घोषित होने हैं वहां अच्छे उम्मीदवारों के बारे में पार्टी को बताना, पार्टी में किसी भी तरह के डैमेज कंट्रोल के बारे में आलाकमान को आगाह करना, पन्ना प्रभारियों और बूथ कमेटी का औचक निरीक्षण कर उन्हें मजबूत करना, इत्यादि होगी।
बीजेपी द्वारा छत्तीसगढ़ की कमान देशभर के नेताओं को दिए जाने को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बीजेपी पर तंज कसा है। उन्होंने लिखा कि मतलब 3 बड़े वालों से नहीं हो पाया? सभी का स्वागत है। 220 क्या 440 आएं, छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक उत्थान को देखें। यहाँ की संस्कृति, सभ्यता उन्हें बहुत प्रभावित करेगी और पता भी चलेगा कि 15 साल की गलतियां इतनी बड़ी थीं कि प्रदेश में चुनाव लड़वाने के लिए नेता भी नहीं बचे।
बाहर से आए बीजेपी नेताओं को लेकर बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कहा, मैं चुनाव को दो हिस्सों में बांटता हूं। एक पॉलिटिकल दूसरा टेक्निकल। हमारे अन्य राज्यों से जो कार्यकर्ता आए हैं। यह पार्टी के बहुत सीनियर नेता है और चुने हुए लोग है। उनको चुनाव का अनुभव है। नीचे बूथ स्तर तक हमारा मैनेजमेंट ठीक हो, यह काम वह करने वाले है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि यहां के नेताओं पर बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों को भरोसा नहीं है। छत्तीसगढ़ की कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं है, तो छत्तीसगढ़ की जनता को बीजेपी पर क्यों भरोसा होगी।
बहरहाल, बीजेपी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। जिसकी वजह से देशभर के अनुभवी नेताओं को यहां की कमान सौंप दी गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के स्थानीयवाद और विकास के नारे के बीच बीजेपी की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है?
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