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India News(इंडिया न्यूज), MP Election: ‘कमलनाथ जी को चोट लगी। वह डॉक्टर के पास गए तो उसने पहले एक्स-रे और एमआरआई कराया फिर इलाज किया। हमें हिंदुस्तान का एक्स-रे करना है। यह पता लगाना है कि यदि सेक्रेटरी लेवल के 90 अफसर हिंदुस्तान को चला रहे हैं तो उनमें से केवल तीन ओबीसी वर्ग से क्यों हैं? यदि आबादी में ओबीसी की भागीदारी 50 प्रतिशत है तो इस वर्ग के अफसरों का का कंट्रोल सिर्फ पांच प्रतिशत बजट पर क्यों है?’
मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ इस अंदाज में किया। हाल ही में जन आक्रोश यात्रा के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को लगी चोट के हवाले से उन्होंने आसान भाषा में एक्स-रे और एमआरआई जैसी जांच का हवाला देकर जातिगत जनगणना क्यों जरूरी है, बताया। राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया कि सरकार बनने पर सबसे पहले जातिगत जनगणना ही कराई जाएगी। जिससे देश में 50 फीसदी हिस्सेदारी वाले ओबीसी वर्ग को उनका हक दिलाया जा सके।
राहुल गांधी भारत सरकार के आलावा अफसरों में जातिगत हिस्सेदारी का मुद्दा पिछले दिनों संसद में भी उठा चुके हैं, लेकिन कालापीपल में आयोजित जनसभा में उन्होंने इससे आगे बढ़कर ओबीसी को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव और इसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश की। राहुल गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग का यह राग यूंही नहीं गाया है। मध्यप्रदेश वह राज्य हैं जहां ओबीसी वर्ग के हक का मुद्दा 2019 से ही गर्म है। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश जारी किया था, जिस पर बाद में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। साल भर पहले हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी ओबीसी को मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने कलेक्टरों के माध्यम से उनकी आबादी की गणना कराकर आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया था।
ओबीसी आरक्षण की इस उर्वरा भूमि पर जातिगत जनगणना का खाद-पानी देकर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है। बता दें कि भाजपा भी ओबीसी वर्ग के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे ओबीसी चेहरे राहुल गांधी के ब्यूरोक्रेसी के आरोप के जवाब में सामने रखती रही है। राहुल गांधी ने शनिवार को इसका उत्तर देते हुए कहा कि कांग्रेस के चार में से तीन मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग के हैं। वे इस मामले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमलावर रहे। राहुल ने कहा कि जब यूपीए की सरकार में जनगणना हुई थी, तब के जातिगत जनगणना के आंकड़े केंद्र सरकार के पास हैं। नरेंद्र मोदी को पता है कि कितने ओबीसी हैं, लेकिन वे आपको यह नहीं बताएंगे। वह आपको सच्ची शक्ति नहीं देना चाहते। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले जातिगत जनगणना कराएंगे और बताएंगे कि कितने ओबीसी हैं। राहुल गांधी ने महिला आरक्षण में भी ओबीसी को कोटा दिए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि परिसीमन से महिला आरक्षण का लाभ मिलने में दस साल की देरी होगी। उन्होंने सवाल किया कि मोदी जी कहते हैं मैं ओबीसी हूं तो उन्होंने ओबीसी महिलाओं को आरक्षण क्यों नहीं दिया।
राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी के लोग जहां भी जाते हैं नफरत फैलाते हैं। मध्यप्रदेश के किसान और युवा भी उनसे नफरत करने लगे हैं। उन्होंने लोगों के साथ जो किया वो उन्हें वापस मिल रहा है। अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश में किए गए प्रवास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान जो लोग मिले उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में जितना भ्रष्टाचार हुआ है उतना कहीं नहीं हुआ। मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार का एपीसेंटर (केंद्र) है। राहुल गांधी ने किसान आत्महत्या का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बीते 18 साल में 18 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं। हर दिन तीन किसानों की मौत हो रही है। यहां किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ और अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में कर्जमाफी होने की बात कहते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में भी किसानों के कर्जमाफी शुरू की थी, लेकिन उन्होंने धोखे से सरकार गिरा दी।
राहुल गांधी अपने भाषण के दौरान उद्योगपति अडानी पर भी लगातार हमलावर रहे। कांग्रेस नेता ने कहा कि मैंने अडानी पर बोला तो मुझे लोकसभा के अयोग्य घोषित कर दिया। अडानी को बचाने के लिए मेरी सदस्यता रद्द कर दी, यह मुझे परेशान नहीं करता। मैं सच बोलूंगा।
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