संबंधित खबरें
Bihar News: पूर्वांचल का अपमान नहीं सहेगा भारत, सम्राट चौधरी का केजरीवाल पर प्रहार
Bihar News: नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा,781 करोड़ की देंगे सौगात
Lalu Prasad Yadav: निकाह में शामिल होने रोहतास पहुंचे RJD सुप्रीमो लालू यादव, सीएम नीतीश की प्रगति यात्रा पर कही ये बड़ी बात
Bihar News: बांका को मिलेगा पर्यटन का नया आयाम,ओपन एयर थिएटर और गज़ीबो का निर्माण
बक्सर सांसद सुधाकर सिंह का हमला,मुख्यमंत्री नीतीश की यात्रा को बताया "चुनावी पर्यटन"
मुजफ्फरपुर में ड्रग्स माफिया पर NCB का बड़ा वार,करोड़ों की खेप के साथ तस्कर गिरफ्तार
Bihar Caste Census: बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने गांधी जयंती के दिन जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य की आबादी में पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 63% से अधिक है। बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है। इसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% के साथ सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद 27.13% के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग है। बिहार और अन्य राज्यों में ओबीसी आबादी का हिस्सा 27% से अधिक माना जाता है। मंडल आयोग, जिसने 1980 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, ने पूरे देश में ओबीसी आबादी का हिस्सा 52% रखा था।
जाति जनगणना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति का एक प्रमुख घटक माना जाता है। न केवल राज्य की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय विरोध में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भी। नीतीश कुमार ने 2022 से अपनी राजनीति को स्पष्ट रूप से जाति जनगणना के इर्द-गिर्द बुना है। जबकि समान नागरिक संहिता और अगले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन जैसे मुद्दे भाजपा के लोकसभा चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। नीतीश जनगणना के आंकड़ों का उपयोग “सामाजिक न्याय” और “न्याय के साथ विकास” का आह्वान कर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कर सकते हैं।
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने संभावना व्यक्त की है कि नीतीश जाति सर्वेक्षण को भाजपा की हिंदुत्व या ‘कमंडल’ राजनीति के खिलाफ मंडल 3.0 के रूप में उपयोग कर सकते हैं। उनका संदर्भ 1990 में मंडल रिपोर्ट की सिफारिशों को मंडल 1.0 के रूप में लागू करने और 2005 में सीएम के रूप में अपने पहले पूर्ण कार्यकाल में नीतीश का विकासात्मक राजनीति को मंडल 2.0 के रूप में था।
अतिपिछड़ा वर्ग का गठन 2005 में नीतीश सरकार द्वारा किया गया था। इस वर्ग में सोनार, बढ़ई, कहार, कुम्हार, लोहार सहित 114 जातियों को शामिल किया गया। एक गैर आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में बिहार में करीब 25% अतिपिछड़ी जातियां थीं। इसी अतिपिछड़ा वर्ग के बदौलत नीतीश ने लालू के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में भाजपा का लगभग सूपड़ा हीं साफ कर दिया था।
बता दें कि नीतीश कुमार जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने एक ऐसा काम किया था जो अब गेमचेंजर साबित हो सकता है। नीतीश ने 2005-10 में दो जाति वर्गों को बनाया था। इसमें एक था अतिपिछड़ा और दूसरा महादलित। उनका यह कदम अब एकदम सही साबित हो रहा है। इस जातीय जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में अतिपिछड़ों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। अतिपिछड़ों की जनसंख्या बिहार में 36.01% है। इस लिहाज से 2024 लोकसभा के चुनाव में अतिपिछड़ा वोट बैंक गेमचेंजर साबित हो सकता है।
Also Read
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.