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India News (इंडिया न्यूज़), Mahatma Gandhi Jayanti: 2 अक्टूबर को पूरा देश महात्मा गांधी को याद कर रहा है। आज महात्मा गांधी की 154वीं जयंती है। इस मौके पर झारखंड के टाना भगतों ने महात्मा गांधी को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। झारखंड में गांधी जी से जुड़ी कई स्मृतियां हैंl झारखंड में अगर हम गांधी जी की बात करें तो सबसे पहले हमें टाना भगत की बात करनी होगी। टाना भगत महात्मा गांधी के अनुयाई है। लोहरदगा जब आजादी के आंदोलन का केंद्र था तो ताना भगत ही थे जो देशभक्ति के जोत को जलाए हुए थे।
1917 में जब महात्मा गांधी और डॉ राजेंद्र प्रसाद रांची आए थे तो टाना भगतों से उनकी मुलाकात हुई। थी एक ही मुलाकात में टाना भगत गांधी जी के होकर रह गए थे। झारखंड के ये आदिवासी टाना भगत गांधीवादी है। तिरंगा की सेवा करना इनका सबसे बड़ा धर्म है। 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में गांधी टोपी धारण करना, ताना भगत ने शुरू किया था और अपने-अपने घरों में तिरंगा फहराने लगे थे। लोहरदगा समाहरणालय में आज भी ताना भगत हर गुरुवार को बैठक करते हैं। टाना भगतों के इस इलाके में करीबन 5000 परिवार है और तकरीबन 35000 की आबादी पूरे छोटा नागपुर में है। यह सादगी के प्रतीक है।
अहिंसा इनका सशक्त हथियार है। चरखा निशान वाले तिरंगा इनके पास हमेशा होता है। घंट घड़ियाल के साथ अपनी बातों को समाज के सामने रखने का काम करते हैं। गांधी जी की तरह ताना भगत भी सफेद कपड़े ही पहनते हैं।प्रतीकात्मक रूप से कभी छोटे हल, गांधी जी की तस्वीर उनके पास होती है। वैसे इस समाज के लोग खेती किसानी में विश्वास करते हैं। और उनके जीवन का आर्थिक आधार भी यही है। गांधी ने झारखंड को समझने के लिए अपनी दूसरी यात्रा 1925 में शुरू की। 1925 में 13 से 18 सितंबर तक पुरुलिया, चाईबासा, चक्रधरपुर, खूंटी, रांची, मांडर, हजारीबाग की यात्रा की और इन स्थानों पर आयोजित अनेक बैठकों को संबोधित किया। ‘यंग इंडिया’ के आठ अक्टूबर 1925 के अंक में ‘छोटानागपुर में’ शीर्षक से उन्होंने दो संक्षिप्त संस्मरण भी लिखे।
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