होम / बातों बातों में- महाराष्ट्र के अस्पतालों में क्यों हो रही लोगों की मौत, जानिए इसके पिछे की वजह

बातों बातों में- महाराष्ट्र के अस्पतालों में क्यों हो रही लोगों की मौत, जानिए इसके पिछे की वजह

Rana Yashwant • LAST UPDATED : October 5, 2023, 1:30 pm IST
ADVERTISEMENT
बातों बातों में- महाराष्ट्र के अस्पतालों में क्यों हो रही लोगों की मौत, जानिए इसके पिछे की वजह

महाराष्ट्र के अस्पताल

India News (इंडिया न्यूज़), Maharashtra News: महाराष्ट्र के नांदेड़, नागपुर औऱ संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में 70 से अधिक मरीजों की मौत ने अस्पतालों में सरकारी इंतजाम की पोल एक बार फिर खोली है, महाराष्ट्र जिसको उत्तर भारत के राज्यों से बेहतर माना जाता है वहां सरकारी अस्पतालों की स्थितियां जानलेवा हैं तो फिर यूपी बिहार झारखंड उड़ीसा और बंगाल जैसे राज्यों के बारे में आप अंदाजा लगा सकते हैं। पिछले साल सितंबर में तेजस्वी यादव जो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, बिहार के नंबर वन मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच गए तो पैरों तले जमीन खिसक गई, लावारिस शव गलियारे में पड़े थे, मरीज फर्श पर सो रहे थे, कुछ ने सेलाइन ड्रॉप की बोतलें रस्सियों से ओवरहेड लाइट से बांध रखी थीं, अस्पताल में मरीजों को देने के लिए केवल पैरासिटामोल और पेनकिलर मेडिसीन थी।

24 घंटे, 25 जाने कैसे गई

गंभीर मरीज़, जिन्हें आईसीयू के अंदर होना चाहिए था, स्ट्रेचर पर लेटे हुए थे, बिना किसी देखभाल के और उनके तिमारदारों की सुननेवाला कोई नहीं था औऱ तो और ना तो डॉक्टर थे और ना ही फॉर्मेसी प्रभारी ड्यूटी पर मिले, महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में स्थिति इससे बस थोड़ी ही ठीक होगी, वर्ना नागपुर जैसे शङर में दो सरकारी अस्पतालों में 24 घंटे के अंदर 25 जाने कैसे गईं? अभी नांदेड़ में 48 घंटों में 31 मरीजों की मौत का मामला गरमाया ही था कि संभाजीनगर और नागपुर से मामले सामने आ गए। सच्चाई यह है कि देश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत का ऑनलाइन डेटा उपलब्ध होने लगे तो रोजाना हजारों हजार मौतें दर्ज होंगी।

भारत से अधिक गरीब देशों का खर्च

संकट देश में स्वास्थ्य के प्रति नीतिगत कमजोरी और सरकारी उदासीनता रहे हैं, अगर आप आंकड़ों के नजरिए से देखें तो असलियत और भयावह दिखती है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी खर्च पिछले एक दशक से जीडीपी के लगभग 1.3% के आंकड़े पर ही टिका हुआ है। सेहत के मामले में भूटान, श्रीलंका और नेपाल जैसे गरीब देशों का भी सालाना खर्च भारत से अधिक है। पिछले 100 सालों में देश की आबादी 7 गुना से अधिक बढ़ी लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हमारी गति आज भी दो कदम आगे तो तीन कदम पीछे वाली ही है,

24 पैसे ही आते हैं सरकारी खर्च से

जन औषधि केंद्रों के मार्फत अधिक से अधिक लोगों तक सस्ती दवाइयां पहुंचाने के दावे के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं लगातार महंगी होती गई हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक अगर स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जाने वाले खर्च को आधार माना जाए तो भारत में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले हर एक रुपये में मात्र 24 पैसे ही सरकारी बजट से आते हैं, बाद बाकी 76 पैसे आम आदमी की जेब से जाता है।

निजी खर्च GDP का 5% के आसपास

मुक्त बाजार के पैरोकार देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति भारत जैसी लापरवाही कहीं औऱ नहीं दिखती, अब आप विकसित देशों में जहां स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय सकल घरेलू उत्पाद के 5 से लेकर 10% तक और निजी खर्च 2% से लेकर 2.5% तक है वहीं भारत में सार्वजनिक व्यय GDP का मात्र 1.3% और निजी खर्च GDP का 5% के आसपास है। चिंताजनक पहलू यह भी है कि निजी व्यय की 100% रकम खर्च करने वाले की जेब से जाती है, इसका सीधा अर्थ यह है कि स्वास्थ्य पर निजी व्यय का पूरा बोझ बीमार या उसके परिवार को उठाना पड़ता है। इसलिए कई बार सामान्य बीमारियों में भी होने वाले खर्च का बोझ परिवार को आर्थिक रुप से कमजोर कर देता है।

व्यक्ति की कमाई का 40% हिस्सा इलाज पर खर्च

सेव द चिल्ड्रन का ताजा आंकड़ा कहता है कि दुनिया में नवजात शिशु की कुल मौतों में से 30% अकेले भारत में होती है, मतलब ये कि गरीब परिवार अपने बच्चों के इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ है, इसकी एकमात्र वजह सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की लगभग ना मौजूदगी और उसे पूरी तरह से निजी क्षेत्र और बाजार के भरोसे छोड़ देने की सार्वजनिक नीति है। इस नीति के कारण देश में एक अत्यंत असमान दोहरी स्वास्थ्य व्यवस्था को फलने-फूलने का मौका मिला है,
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक व्यक्ति की कमाई का 40% हिस्सा तक इलाज पर खर्च हो रहा है।

अधिकांश अस्पताल आयुष्मान योजना की दरों पर इलाज करने के लिए राजी नहीं

आयुष्मान योजना की पहुंच अधिकांश परिवारों तक नहीं हो पाई है और प्राथमिक उपचार के लिए घोषित डेढ़ लाख हेल्थ एंड वैलनेस केंद्र का ढांचा अब तक तैयार नहीं हो सका है, देश के अधिकांश निजी अस्पताल आयुष्मान योजना की तय दरों पर इलाज करने के लिए राजी नहीं है। निजी अस्पतालों में 10% आरक्षित बिस्तर गरीबों के लिए मुहैया कराने का स्पष्ट प्रावधान है, लेकिन प्रशासनिक हीला-हवाली के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।

ये भी पढ़े

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

CM हेल्पलाइन की मदद से फरार हुई दुल्हन, पति ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
CM हेल्पलाइन की मदद से फरार हुई दुल्हन, पति ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
कंगना ने HC के नोटिस का दिया जवाब: चुनाव को रद्द करने वाली याचिका पर हुई सुनवाई ; याचिकाकर्ता ने की ये मांग
कंगना ने HC के नोटिस का दिया जवाब: चुनाव को रद्द करने वाली याचिका पर हुई सुनवाई ; याचिकाकर्ता ने की ये मांग
बुढ़ापे में पिता को चढ़ गई जवानी…38 साल महिला से हुआ इश्क, बेटे ने किया विरोध तो कर दिया ये कांड
बुढ़ापे में पिता को चढ़ गई जवानी…38 साल महिला से हुआ इश्क, बेटे ने किया विरोध तो कर दिया ये कांड
AR Rahman से तलाक के बाद पत्नी को 2,000 करोड़ रुपये में से कितना फीसदी मिलेगा हिस्सा, वकील ने किया चौंकाने वाला खुलासा
AR Rahman से तलाक के बाद पत्नी को 2,000 करोड़ रुपये में से कितना फीसदी मिलेगा हिस्सा, वकील ने किया चौंकाने वाला खुलासा
कट्टरपंथियों का काल बना ये हिंदू योगी, अब बांग्लादेश ने कर दी उसकी ऐसी हालत, लाल हुई भारत की आंखें
कट्टरपंथियों का काल बना ये हिंदू योगी, अब बांग्लादेश ने कर दी उसकी ऐसी हालत, लाल हुई भारत की आंखें
पुलिस भर्ती में केंद्रीय चयन पर्षद पर धांधली का आरोप, जानें क्या है वजह?
पुलिस भर्ती में केंद्रीय चयन पर्षद पर धांधली का आरोप, जानें क्या है वजह?
Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
ADVERTISEMENT