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India News(इंडिया न्यूज), CG Election: छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में चौथी बार सरकार बनाने का ख्वाब देख रही , भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था, उस हार के पीछे एकमात्र कारण यह रहा कि सरकार के खिलाफ जबरजस्त एंटी इनकंबेंसी रही। सत्ता के सिपहसलारो को इसका तनिक भी आंकलन नही हुआ और रमन सरकार के सभी मंत्रियों को टिकट दे दिया गया था, अब एक बार फिर भाजपा उन्ही पुराने बुझे हुए चेहरों पर दाव लगाने जा रही है, जैसा कि वायरल सूची में देखा जा रहा है।
रमन सरकार में मंत्री रहे सभी चेहरों की सर्वे रिपोर्ट खराब होने के बावजूद मैदान में उतारा गया था, परिणामस्वरूप हुआ कि व्यक्तिगत रूप से मौजूद चेहरों को छोड़कर बाकी सभी मंत्री चुनाव हार गए थे, तात्कालिक विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल से लेकर रमन सरकार में मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय, अमर अग्रवाल, रामसेवक पैकरा, राजेश मूणत, भैयालाल राजवाड़े, दयालदास बघेल, केदार कश्यप एवं महेश गागड़ा को मिलाकर 8 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। अधिकांश संसदीय सचिव भी चुनाव हार गए थे। भाजपा सिर्फ 15 सीट पर सिमट गई थी।
वायरल संभावित सूची पर विश्वास किया जाए तो वर्ष 2018 के चुनाव में हारने वाले अधिकांश मंत्रियों एवं विधायको को एक बार फिर से मौका दिया जा रहा है, जिस पर सवाल उठने लगा है कि जो चेहरे 2018 के चुनाव में हार गए थे जिन्हे जनता ने नकार दिया था और जिनसे कार्यकर्ता भी रूष्ट थे, उनमें से अधिकांश चेहरों को 2023 के विधानसभा चुनाव में फिर से मैदान में उतारे जाने की खबरों के बीच पार्टी कार्यकर्ताओं में ही रोष देखने को मिल रहा है। उन चेहरों ने आखिर ऐसा क्या काम कर दिया कि उनके खिलाफ माहौल शांत हो गया, हारे चेहरे इस बार जीत जायेंगे इसकी संभावना काफी कम है।
दूसरी सूची के अधिकृत घोषणा के पहले ही सोशल मीडिया में सूची वायरल होने से सोमवार को भाजपा की राजनीति काफी उफान पर रही, सूची यदि फाइनल मानी जाती है तो इससे पार्टी की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। इस वायरल सूची के पीछे राज्य में भाजपा की गुटबाजी और नेताओ की अपनी अपनी लाबिंग को भी जिम्मेदार माना जा रहा है,बताया जाता है कि उक्त घटना क्रम को केंद्रीय नेतृत्व ने काफी गंभीरता से लिया है। एक बात साफ है कि यदि वास्तव में भाजपा के पुराने चेहरे फिर से मैदान में उतारे जाते हैं तो कांग्रेस को प्रदेश में वाकओवर मिल जायेगा।
भाजपा ने पिछले वर्ष डी पुंडेश्वरी को बदलकर प्रदेश प्रभारी की कमान राजस्थान के भाजपा नेता और कई प्रदेशों के प्रभारी रह चुके ओम माथुर को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया था, श्री माथुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी काफी करीबी बताया जाता है, उनकी रिपोर्टिंग सीधे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह तक होती है, प्रभारी बनने के बाद उन्होंने भाजपाइयों में जान भी फूका। प्रदेश भर के दौरे में श्री माथुर ने कई बार बयान दिया था कि आने वाले चुनाव में अधिकांश सीट पर नए चेहरे को मौका दिया जाएगा।
उनके द्वारा दिए गए संकेत के बाद कई सीटों पर पार्टी के दूसरे लाइन के नेताओ ने चुनाव की काफी तैयारी की,अपने विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार किया, अनेक कार्यक्रम कराए, प्रचार प्रसार से लेकर अन्य तैयारियों में लाखो खर्च किए गए लेकिन वायरल सूची के बाद प्रदेश प्रभारी के बयान की हवा निकल गई है,पार्टी के कई वरिष्ठ नेता से लेकर कार्यकर्ता भी उनके नेतृत्व पर सवालिया निशान पैदा कर रहे हैं।
भाजपा एक बार फिर अंदरूनी लड़ाई से जूझती दिखलाई दे रही है, पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का अलग – अलग गुट नजर आ रहा है, दोनो गुट अपने अपने समर्थको को टिकट की जुगत में है। दोनो गुट अभी से लाबिंग कर रहे हैं जिससे भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव ने कमान संभालने के बाद प्रदेश भर का कई बार दौरा किया है, उनकी कार्यशैली भी एकदम अलग है, ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज में वे देखे जाते हैं, वे संघ के भी करीबी है। वर्तमान परिस्थिति पर गौर किया जाए तो यह प्रतीत होता है कि भाजपा में अरुण साव का कद काफी बढ़ गया है, पीएम नरेंद्र मोदी ने रायगढ़ व बिलासपुर की सभा के पहले अपने खुले वाहन में श्री साव को सवारी कराई है जिसका संदेश काफी गहरा है।
भाजपा के संभावित सूची प्रत्याशियों की सूची वायरल होते ही किसी भी विधानसभा क्षेत्र में जनता में किसी प्रकार का उत्साह देखने को नही मिला है,वही घिसे पिटे चेहरे एक बार फिर सामने आ रहे हैं जिनसे जनता को कोई उम्मीद नहीं है। यह सूची अगर फाइनल होती है तो राज्य से एक बार फिर भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा, जैसा कि खबर है केंद्रीय नेतृत्व इस मसले पर काफी नाराज है जिसके बाद उसे चाहिए कि पुराने अधिकांश चेहरे पर दाव लगाने की बजाय नए चेहरे को मौका दे जिससे की प्रदेश में सरकार बनाने में सफलता हासिल हो।
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