India News (इंडिया न्यूज) Thrombocytopenia : साधारण सा दिखने वाला कोल्ड कफ भी कब एक गंभीर बिमारी का रूप ले ले, किसी को पता भी नहीं चलता। बता दें कि अगर किसी भी व्यक्ति को पैथोजैन्स हो गया है तो वह सबसे पहले उस व्यक्ति की इम्युनिटी पर असर डालती है, जिससे की उसकी इम्युनिटी कमजोर हो सके। यह एक ऐसी स्थिति हो जाती है जिसमें की शरीर मे से प्लेटलेट गिरने लगती है और शरीर कमजोर होने लगता है।
बता दें कि ‘यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में स्टीफ़न मोल, एमडी और जैकलीन बास्किन-मिलर, एमडी द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार बताया गया है कि एडेनोवायरस संक्रमण, फ्लू पैदा करने के साथ-साथ सांस की बीमारी भी पैदा करता है। जिसके कारण दिमाग में ब्लड क्लॉट्स भी हो सकती है और यह बेहद रेयर केस भी है। वहीं न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च में बताया गया है कि इस मामले में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का कारण एंटी-प्लेटलेट फैक्टर 4 डिसऑर्डर (एंटी-पीएफ4) है।
कोरोना के बाद हर कोई एंटीबॉडी जैसे वर्ड से को कभी अच्छी तरह से जान चुका है। बता दें कि यह हमारे शरीर द्वारा निर्मित प्रोटीन होते हैं जो बीमारी के हमला के बाद भी उसे कंट्रोल करते हैं ताकि हमारी इम्युनिटी मजबूत बनी रहे। हालांकि, एंटी-पीएफ4 में, ये एंटीबॉडीज़ पीएफ-4 प्रोटीन के ऊपरी भाग पर चिपक जाते हैं, जो प्लेटलेट्स द्वारा जारी होते हैं। साथ ही यह रक्तप्रवाह से प्लेटलेट्स को तेजी से हटाने का काम भी अच्छे से कर सकता है।
पहला मरीज़ एक छोटा बच्चा था जिसे की मस्तिष्क में खून के थक्के जमने और गंभीर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहीं डॉक्टरों ने बताया कि यह विकार हेपरिन या सीओवीआईडी -19 टीकाकरण का परिणाम नहीं था, जोकि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लिए क्लासिक ट्रिगर हैं।
वहीं दूसरा मरीज एडेनोवायरस संक्रमण के बाद बहुत खराब स्थिति में था। बता दें कि मरीज को कई रक्त के थक्के, स्ट्रोक, दिल का दौरा और गंभीर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया था. जब इन दोनों मरीजों का टेस्ट किया गया तो वह पॉजिटिव निकला।
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